Video & Pics: ''चलते चलते'', ''इन्हीं लोगों'' जैसे गानों से फेमस हुई थी बॉलीवुड एक्ट्रैस मीना कुमारी

3/31/2015 5:15:13 PM

मुंबई: हिंदी फिल्मों में अपने दमदार और संजीदा अभिनय से दर्शकों को भावविभोर करने वाली अदाकारा मीना कुमारी यदि अभिनेत्री नहीं होतीं तो शायर के रूप में अपनी पहचान बनातीं। हिंदी फिल्मों के जाने माने गीतकार और शायर गुलजार से एक बार मीना कुमारी ने कहा था ''ये जो एक्टिग मैं करती हूं उसमें एक कमी है, ये फन, ये आर्ट मुझसे नहीं जन्मा है, याल दूसरे का, किरदार किसी का और निर्देशन किसी का। मेरे अंदर से जो जन्मा है, वह लिखती हूं जो मैं कहना चाहती हूं वह लिखती हूं।  मीना कुमारी ने अपनी वसीयत में अपनी कविताएं छपवाने का जिमा गुलजार को दिया जिसे उन्होंने ''नाज'' उपनाम से छपवाया। सदा तन्हा रहने वाली मीना कुमारी ने अपनी रचित एक गजल के जरिये अपनी जिंदगी का नजरिया पेश किया है। 

 

"चांद तन्हा है आसमां तन्हा

 दिल मिला है कहां कहां तन्हा

 राह देखा करेगा सदियों तक

 छोड़ जायेगें ये जहां तन्हा"

अपने दमदार और संजीदा अभिनय से सिने प्रेमियों के दिलों पर छा जाने वाली ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी को उनके पिता अनाथालय छोड़ आये थे। एक अगस्त 1932 का दिन था। मुंबई में एक क्लीनिक के बाहर मास्टर अली बक्श नाम के एक शस बड़ी बंसब्री से अपनी तीसरी औलाद के जन्म का इंतजार कर रहे थे। दो बेटियों के जन्म लेने के बाद वह इस बात की दुआ कर रहे थे कि अल्लाह इस बार बेटे का मुंह दिखा दे। तभी अंदर से बेटी होने की खबर आयी तो वह माथा पकड़ कर बैठ गये।  

मास्टर अली बश ने तय किया कि वह बच्ची को घर नहीं ले जायेंगे और वह बच्ची को अनाथालय छोड़ आये लेकिन बाद में उनकी पत्नी के आंसुओं ने बच्ची को अनाथालय से घर लाने के लिये उन्हें मजबूर कर दिया। बच्ची का चांद सा माथा देखकर उसकी मां ने उसका नाम रखा "माहजबीं" । बाद में यही माहजबीं फिल्म इंडस्ट्री में मीना कुमारी के नाम से मशहूर हुयीं।

 वर्ष 1939 मे बतौर बाल कलाकार मीना कुमारी को विजय भट्ट की‘लेदरफेस’ में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1952 मे मीना कुमारी को विजय भटृ के निर्देशन में ही बैजू बावरा में काम करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद मीना कुमारी बतौर अभिनेत्री फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गयी।

उन्होंने ''साहिब बीबी और गुलाम'', ''पाकीजा'', ''परिणीता'', ''तमाशा'', ''बंदिश'', ''भीगी रात'', ''शतरंज'', ''एक ही रास्ता'', ''सवेरा'', ''फरिश्ता'', ''आरती'', ''चित्रलेखा'', ''बेनजीर'', ''बहू बेगम'', ''जवाब'' ''फुटपाथ'', ''आजाद'', ''कोहिनूर'' और ''यहूदी'' जैसी सफल फिल्मों में काम किया। मीना कुमारी को सबसे पहले वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म ''परिणीता'' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ''फिल्मफेयर'' पुरस्कार दिया गया। ''चलते चलते'', ''इन्हीं लोगों'' जैसे गानों से मीना कुमारी काफी फेमस हुई थी। रूपहले पर्दे पर दर्द भरे चरित्र को जीवंत करने वाली ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी ने 31 मार्च 1972 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 

 

 


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