सेंसर बोर्ड ने बाहुबली को बताया एडल्ट फिल्म, कहा- बच्चों के देखने लायक नहीं

5/16/2017 8:08:47 PM

मुंबईः भारतीय सिनेमा के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने वाली एसएस राजामौली की फिल्म 'बाहुबली 2' को सिंगापुर में दर्शक नहीं मिल पाए। आप सोच रहे होंगे कि ऐसी फिल्म, जिसे देखेने के लिए पूरा विश्व आतुर दिखा, भला उसे वहां दर्शकों का प्यार क्यों नहीं मिल पाया। 

'बाहुबली-2' के चर्चे पूरी दुनिया में हो रहे हैं। बच्चे-बच्चे की जुबान पर बाहुबली और इस फिल्म के डायलॉग चढ़े हुए हैं। कमाई के मामले में भी ये फिल्म लगभग सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर चुकी है। भारतीय सिनेमा में एक अलग इतिहास रच बुलंदियों को छूने वाली इस फिल्म को दुनिया भर के लोग देख रहे हैं। लेकिन सिंगापुर में बहुत सारे लोग इस फिल्म को नहीं देख पा रहे हैं।  इसकी वजह है कि सिंगापुर सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को एडल्ट सर्टिफिकेट दे दिया है।

आपको बता दें इसकी वजह सिंगापुर का सेंसर बोर्ड है, जिसने फिल्म को एडल्ट सर्टिफिकेट दिया है। 'बाहुबली: द कन्क्लूजन' को सिंगापुर में NC16 सर्टिफिकेट दिया गया। इसका मतलब 16 से कम उम्र के लोग यह फिल्म नहीं देख सकते।

बता दें कि बाहुबली-2 को सिंगापुर में NC16 सर्टिफिकेट दिया गया।  इसका मतलब ये है कि 16 से कम उम्र के लोग यह फिल्म नहीं देख सकते। सिंगापुर के इस फिल्म को एडल्ट सर्टिफिकेट देने पर भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने कहा, हमने फिल्म को यूए सर्टिफिकेट दिया था। इसके साथ ही कोई सीन काटा नहीं गया था। लेकिन सिंगापुर सेंसर बोर्ड को फिल्म काफी हिंसक लगी।'

सिंगापुर के सेंसर बोर्ड को युद्ध वाले सीन, सैनिकों के गला काटने वाले सीन बेहद हिंसक लगे। एशिया और यूरोप में ज्यादा भारतीय फिल्मों को ए सर्टिफिकेट दिया जाता है। 

पहलाज निहलानी का इस बारे में कहना है कि, हमारी और उनकी संस्कृति में फर्क है। इसकी कई वजहें भी हैं। जैसे कि भारतीय कहानियों में राक्षस के सिर काटने का जिक्र होता है। हमारे देश के बच्चे इस तरह की कहानियां सुनकर हुए बड़े होते हैं। अगर हम इस तरह का कोई सीन काटते तो हमें गैर धार्मिक माना जाता। सिंगापूर में इसे हिंसावादी फिल्म के तौर पर देखा गया, जिसमें युद्ध के दौरान सैनिकों को बेरहमी से मारते दिखाया गया है। 
 


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