जब किसी के कहने पर इस संगीतकार ने छोड़ दिया था गाना

5/29/2018 7:23:50 PM

मुंबईः भारतीय सिनेमा जगत में अनिल विश्वास को एक ऐसे संगीतकार के तौर पर याद किया जाता है जिसने मुकेश, तलत महमूद समेत कई पाश्र्वगायकों को कामयाबी के शिखर पर पहुंचाया। आज आपको उनके बारें में कुछ रोचक बातें बताने जा रहें हैं। मुकेश के रिश्तेदार मोतीलाल के कहने पर अनिल विश्वास ने मुकेश को अपनी एक फिल्म में गाने का अवसर दिया था लेकिन उन्हें मुकेश की आवाज पसंद नहीं आयी बाद में उन्होंने मुकेश को वह गाना अपनी आवाज में गाकर दिखाया। इस पर मुकेश ने अनिल विश्वास ने कहा दादा बताइये कि आपके जैसा गाना भला कौन गा सकता है यदि आप ही गाते रहेंगे तो भला हम जैसे लोगों को कैसे अवसर मिलेगा। मुकेश की इस बात ने अनिल विश्वास को सोचने के लिये मजबूर कर दिया और उन्हें रात भर नींद नहीं आई। 

अगले दिन उन्होंने अपनी फिल्म पहली नजर में मुकेश को बतौर पाश्र्वगायक चुन लिया और निश्चय किया कि वह फिर कभी व्यावसायिक तौर पर पाश्र्वगायन नहीं करेंगे। अनिल विश्वास का जन्म 07 जुलाई 1914 को पूर्वी बंगाल के वारिसाल (अब बंगलादेश) में हुआ था। बचपन से ही उनका रूझान गीत संगीत की ओर था। महज 14 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने संगीत समारोह में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था, जहां वह तबला बजाया करते थे। वर्ष 1930 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था। 

देश को स्वतंत्र कराने के लिये छिड़ी मुहिम में अनिल विश्वास भी कूद पड़े। इसके लिए उन्होंने अपनी कविताओं का सहारा लिया। कविताओं के माध्यम से अनिल विश्वास देशवासियों में जागृति पैदा किया करते थे। इसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वर्ष 1930 में अनिल विश्वास कलकत्ता के रंगमहल थियेटर से जुड़ गये जहां वह बतौर अभिनेता, पाश्र्वगायक और सहायक संगीत निर्देशक काम करते थे। वर्ष 1932 से 1934 अनिल विश्वास थियेटर से जुड़े रहे। 

उन्होंने कई नाटकों में अभिनय और पाश्र्वगायन किया। रंगमहल थियेटर के साथ ही वह हिंदुस्तान रिकार्डिंग कंपनी से भी जुड़े। वर्ष 1935 में अपने सपनों को नया रूप देने के लिये वह कलकत्ता से मुंबई आ गये। वर्ष 1935 में प्रदर्शित फिल्म (धरम की देवी) से बतौर संगीत निर्देशक अनिल विश्वास ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत की। साथ ही फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया।  वर्ष 1937 में महबूब खान निर्मित फिल्म जागीरदार अनिल विश्वास के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुई जिसकी सफलता के बाद बतौर संगीत निर्देशक वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। वर्ष 1942 में अनिल विश्वास बांबे टॉकीज से जुड़ गये और 2500 रुपये मासिक वेतन पर काम करने लगे। वर्ष 1943 में अनिल विश्वास को बांबे टॉकीज निर्मित फिल्म किस्मत के लिये संगीत देने का मौका मिला। यूं तो फिल्म किस्मत में उनके संगीतबद्ध सभी गीत लोकप्रिय हुए लेकिन आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो ए दुनियां वालो हिंदुस्तान हमारा है, के बोल वाले गीत ने आजादी के दीवानों में एक नया जोश भर दिया। 


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