फिल्म ''राज़ी'' सहमत खान की सच्ची कहानी देशभक्ति की अनोखी मिसाल है

5/10/2018 2:17:50 PM

मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट और विक्की कौशल की अपकमिंग फिल्म 'राजी' 11 मई को रिलीज होने वाली है। डायरेक्टर मेघना गुलजार ने देशभक्ति, रिश्तों की डोर व इमोशंस को बड़ी ही खूबसूरती से इस फिल्म में पिरोया है। फिल्म का निर्माण करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन और जंगली पिक्चर्स द्वारा किया गया है। यह फिल्म साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध से ठीक पहले की कहानी है।

 

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जैसा की आप ने ट्रेलर में ही देख लिया होगा कि फिल्म 'राजी' एक सच्ची घटना पर आधारित है। 'राजी' एक लड़की की कहानी है, आज हम आपको बताने जा रहे है कि फिल्म 'राजी' जिस लड़की की कहानी पर बेस्ड हैं आखिर वह लड़की हैं कौन और उसकी कहानी क्या है। 

 

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फिल्म में लड़की का नाम सहमत है जोकि सिर्फ 20 साल की है। उसके लिए वतन के मायने सबसे ऊपर है और इसी वतन की रक्षा के लिए वह अपनी जिंदगी दाव पर लगाकर जासूस बनने को तैयार हो जाती है, क्योंकि उसके खून में वतन के लिए लडऩा है। सहमत के पिता उसकी पाकिस्तान के एक आर्मी अॉफिसर से शादी करवा देते है, क्योंकि वह चाहते है कि सहमत भारत की आंख और कान बनकर पाकिस्तान में रह सके और देश की रक्षा करे। पाकिस्तान में रहते वक्त सहमत को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह फिर भी कभी हार नहीं मानती और अपना काम बखूबी निभाती रहती है। पाकिस्तान में सहमत को जितने भी सबूत मिलते हैं वह काफी होशियारी और चलाकी से उसे भारत भेजती है।

 

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मगर सहमत को ये भी बताया गया था कि उसकी एक छोटी सी भूल उसकी मौत का कारण बन सकती है। इस दौरान सहमत कई उतार-चढ़ाव देखती हैं, लेकिन इसी बीच सहमत और उसके पति की लव कैमिस्ट्री भी देखने को मिलती है। पाकिस्तान में रहते वक्त सहमत ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति याह्या खान के पोते-पोती को भी पढ़ाया था। जब अपना मिशन खतम कर सहमत वापिस भारत लौटती हैं तो वह अकेली नहीं होती, उसके साथ उसकी कोख में उसके पति की निशानी होती हैं, यानि वह प्रैग्नैंट होती है। 

 

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प्रोड्यूसर, राइटर हरिंदर सिंह सिक्का ने सहमत की कहानी को अपने नॉवल 'Calling sehmat' में लिखा है। ये नॉवल साल 2008 में पब्लिश हुआ था। हमारे देश में कई एेसी लड़कियां है, जिन्होंने अपने देश के लिए काफी कुछ किया हैं मगर लोगों को उनका नाम तक नहीं पता। हरिंदर सिक्का ने उन्हीं में से एक बहादुर लड़की की कहानी को अपने नॉवल में बयान किया है। 

 

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हरिंदर सिक्का जब 1999 में कारगिल युद्ध को कवर करने और विभिन्न खुफिया विफलताओं के बारे में रिसर्च करने गए तो, वहां उन्हें एक सेना अधिकारी ने बताया कि ऐसे लोग भी थे जिन्होंने सेना को गुप्त जानकारी देने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाली हुई थी। दरअसल, ये सेना अधिकारी कोई और नहीं बल्कि सहमत का बेटा था। जो अपनी मां के बारे में बता रहा था। 

 

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हरिंदर सिक्का के अनुसार, "इसे सूनने के बाद मैं बहुत क्रोधित हुआ था क्योंकि  खुफिया विभाग में कुछ लोगों की देशभक्ति पर भी सवाल उठाया। वहां, इस तरह की एक चर्चा के दौरान, सेना अधिकारी ने मुझे बताया कि हर कोई एक जैसा नहीं है। मैं इस बात का यकीन नहीं कर रहा था, इस लिए उसने अपनी मां का उदाहरण दिया, मुझे यकीन दिलवाने के लिए। उसकी मां ने 1971 के युद्ध के दौरान भारत को वर्गीकृत जानकारी प्रदान करने के लिए एक पाकिस्तानी सेना अधिकारी से विवाह किया। हरिंदर सिक्का ने अपने नॉवल में उस लड़की के नाम का खुलासा नहीं किया हुआ है। 


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