Movie Review: अच्छी शुरुआत के बाद भटकने लगती है सनी सिंह स्टारर "उजड़ा चमन"

11/1/2019 1:44:50 PM

बॉलीवुड तड़का डेस्क। पिछले काफी दिनों से ख़बरों में जगह बना रही फिल्म 'उजडा चमन' राजौरी गार्डन के 30 वर्षीय चमन कोहली (सनी सिंह) की कहानी है, जिसका उसके गंजेपन की वजह से हमेशा मजाक बनाया जाता है। चीजों को और बदतर बनाने के लिए, चमन को लड़कियों की तरफ से अनगिनत बार शादी के लिए रिजेक्ट किया जा चुका है। उधर उनके फैमिली एस्ट्रोलॉजर सौरभ शुक्ला ने ये भविष्यवाणी कर दी है कि यदि चमन की शादी 31 साल की उम्र तक नहीं हुई, तो वह जीवन भर कुंवारा ही रहेगा।

PunjabKesari, Ujda Chaman Movie Review

इस फिल्म की कहानी "दिलो की बात करता है ज़माना, मुहब्बत आज भी चेहरों से शुरु होती है" के इर्द-गिर्द घूमती है। एक अच्छी कहानी में ढेर सारे ट्विस्ट करने की कोशिश के चक्कर में कहानी अपना अट्रैक्शन और नवीनता खो देती है। जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वैसे वैसे आपको लगता है कि आसान रास्ता निकालने के लिए मेकर्स ने गलत एग्जिट चुन ली है।

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आपको बता दें कि फिल्म की कहानी पहले से तैयार थी (ओन्डू मोट्टेया काटे) और सबसे अच्छी बात यह थी कि उन्हें मैटेरियल को पेस्ट करना था। सिनेमा के रूल्स के मुताबिक यदि आप किसी फिल्म का रीमेक बना रहे हैं, तो कहानी में तभी ट्विस्ट दें जब आपको लगता है कि यह ओरिजिनल से बेहतर होगी। यहां तक ​​कि 120 मिनट में, फिल्म की लंबाई एक बड़ा मुद्दा है और इस जगह भी ये फिल्म फेल रहती है। गंजेपन और मोटेपन पर फोकस रहने की वजह से फिल्म एक घिसा पिटा स्पूफ लगती है।

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'उजड़ा चमन' के लिए सनी सिंह ने एकतरफा एक्टिंग की है। इसे कंट्रोल करने की जरुरत थी। सनी कभी भी अपने आलसी कैरेक्टर से नहीं निकल पाते। इसी तरह एक ही एक्सप्रेशंस के साथ, वह स्क्रीन पर ज्यादा टाइम दिखते हैं। मानवी गगरू एक अच्छी एक्ट्रेस हैं और फिल्म में हमेशा की तरह अच्छी एक्टिंग की हैं।

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सौरभ शुक्ला ने अपनी लंबी फिल्मोग्राफी करियर में अभी तक का एक और 'व्यर्थ कैमियो' जोड़ा है। अतुल कुमार और अनुग्रह कपूर चमन की माँ और पिताजी के रूप में अच्छे हैं। बेहद खूबसूरत करिश्मा शर्मा अपनी भूमिका बखूबी निभाती हैं। शारिब हाशमी ने भी शानदार काम किया है। ऐश्वर्या सखुजा अपनी भूमिका में पूरी तरह से फिट बैठती हैं।

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ओवरऑल 'उजडा चमन' के पास एक मनोरंजक फिल्म होने की कमी है। फिल्म का ह्यूमर एक समय के बाद फ्लैट हो जाता है, बैठाए रखने के लिए कोई मजबूत सपोर्टिंग कास्ट नहीं है, कुल मिलाकर 120 मिनट खर्च होने के बाद ऐसा लगता है कि यह एक ऐसी कहानी है, जिसे एक ही लाइन में खत्म किया जा सकता था।


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Edited By

Akash sikarwar


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