सिख विरोधी दंगों पर आधारित फिल्म ''31 अक्टूबर'' जरूर देखे

10/22/2016 8:08:01 PM

सोहा अली खान और वीर दास स्टारर फिल्म '31st OCTOBER' में 1984 के दौर में भड़के दंगों पर लगी इमरजेंसी के दौरान हुई घटनाओं को दिखाया गया है। फिल्म के डायरेक्शन की जिम्मेदारी मराठी फिल्म ‘धग’ के लिए नेशनल अवॉर्ड जीत चुके शिवजी लोटन पाटिल ने निभाई। यह फिल्म रिलीज होने से पहले कई फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाई जा चुकी है। जिसे लोगों की तरफ से काफी पसंद किया गया है। 

 

फिल्म में 31 अक्टूबर 1984 को हुए घटनाक्रम को दिखाया गया है। इस दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी। इस घटना के बाद दंगे भड़के थे। फिल्म में इस घटना को भी दिखाया गया है। इसी दौरान फिल्म में अहम भूमिका निभाने वाले तेजिंदर कौर (सोहा अली खान) और देविंदर सिंह (वीर दास) दंगे के बीच अपनी जान बचाने की कोशिश करते हैं। फिल्म में जिस तरह एक बड़े मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई है। तो व अपनी छाप लोगों में छोडऩे में सफल रही है। 



लंबे टाइम बाद पर्दे पर लौटीं सोहा अली खान ने फिल्म में काफी अच्छी भूमिका निभाई है, उनके किरदार को काफी पसंद किया गया है। इसी के साथ अगर बात की जाए फिल्म के स्क्रीनप्ले के बारे में तो यह उतना असरदार नहीं है लेकिन फिल्म के डायलॉग्स ने लोगों को काफी अकर्षित किया है। उस तरह फिल्म लोगों से कनेक्ट करने में कुछ हद तक सफल रही है।








सिख के रोल में वीर दास ने अच्छा रोल निभाया। फिल्म में दंगों को काफी सीमित तौर पर दिखाया है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर बनी फिल्म ‘31 अक्तूबर’ के कई सीन काटने के बाद और चार महीने की देरी के बाद सेंसर बोर्ड ने इसे हरी झंडी दी थी। 











इस फिल्म को हैरी सचदेवा ने प्रोड्यूस किया है। फिल्म के हीर झंडी मिलने के बाद उन्होंने बताया था कि इसमें नौ बड़े सीन काट दिए गए हैं। सेंसर बोर्ड का कहना था कि इनमें से कुछ सीन और डयलॉग एक कम्यूनिटी को उकसा सकते थे इसलिए उन्हें हटाना जरूरी था। फिल्म के अंत में दिखाया गया है कि इस घटना को 32 वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक इस मामले में न्याय नहीं हुआ है। देवेन्दर अभी भी इसलिए दु:खी है और तेजिन्दर ने हालात से समझौता कर लिया है। 










 

फिल्म 31 अक्टूबर के कुछ डायलॉग्स





1. यार मेरी फैमिली को बचा लेता प्लीज..., तेरी फैमिली को बचाने के चक्कर में मैं अपनी फैमिली को जोखिम में नहीं डाल सकता।

2. क्या क्या नहीं हो रहा आज धर्म के नाम पे...। ठगी, बवाल, दंगे...। आज धर्म की कोख में बारूद पल रहा है।

3. देशवासियों का ये फर्ज बनता है कि उनपर चली हुई एक-एक गोली का हिसाब उन गद्दारों से लें।

4. सिख कौम हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए बनी थी। उस कौम ने हमारे देश और धर्म के लिए बलिदान दिया है।

5. देवेंद्र जी...., जाओ... जाओ..., बच्चों को लेकर जाओ।

6. क्या हर सरदार इंदिरा गांधी का हत्यारा है? क्या हर सरदार पाकिस्तान का एजेंट है?









31st OCTOBER
निर्देशक: शिवाजी लोटन पाटिल 
निर्माता: हैरी सचदेवा 
संगीत: विजय वर्मा 
गीत: महबूब, मोअज्जम आजम 
कलाकार: सोहा अली खान, वीर दास, दीपराज राणा, विनीत शर्मा, नागेश भोंसले, दया शंकर पांडे, लखा लखविंद सिंह, प्रीतम कांगे, सेजल शर्मा