पाकिस्तानी एक्ट्रेस माहिरा खान करेंगी जी थिएटर की नई सीरीज ''यार जुलाहे''
5/12/2021 7:53:15 PM

नई दिल्ली। जी थियेटर की शुरुआत हुई थी २०१५ में और तब से लेकर अब तक वो प्रयत्नशील है की छोटे पर्दे पर दुनिया भर के दर्शकों के लिए रंगमंच की चुनिंदा रचनाओं का मंचन किया जाये. इस अग्रणी मंच पर अब बुनी जाएंगी कुछ यादगार कहानियां क्योंकि जी थियेटर लेकर आ रहा है, 'यार जुलाहे।' 'Dramatic readings' की यह एक ऐसी श्रृंखला है जिसकी १२ कड़ियों में कलाकार पढ़ेंगे लघु कहानियां. नाटकीय पाठन का यह सिलसिला जारी रहेगा DTH platforms – Tatasky Theatre, Airtel Spotlight, Dish TV and D2h Rangmanch Active, इत्यादि पर।
'गुड़िया' कहानी है दो सहेलियों की. मेहरां और बानो की दोस्ती के तार मजबूत हैं और बानो के पास एक गुड़िया है जिसकी शक्ल मेहरां से मिलती है। मेहरां को हालांकि यह गुड़िया पूरी तरह से नापसंद है। देखिए किस तरह धीरे धीरे इस गुड़िया के आसपास प्यार और नफरत के उतार चढाव दोनों सहेलियों को घेरते हैं और कैसे एक अजीबो गरीब मोड़ इस कहानी को अंजाम तक पहुंचाता है और इस गुड़िया का राज खोलता है।
'यार जुलाहे' लेकर आएगा उर्दू और हिंदी के प्रगतिशील लेखकों की रचनायें जिनमे शामिल हैं गुलज़ार, सआदत हसन मंटो, इस्मत चुग़ताई , मुंशी प्रेमचंद, अमृता प्रीतम, कुर्अतुल ऐन हैदर , बलवंत सिंह , असद मोहम्मद खान, ग़ुलाम अब्बास, राजिंदर सिंह बेदी और इंतेजार हुसैन। पढ़ने वाले कलाकार हैं सरमद खूसट, सर्वत गिलानी, निम्रा बुचा, फवाद खान, सान्या सईद , इरफान खूसट , यसरा रिजवी, सामिया मुमताज और फैसल कुरैशी।
शैलजा केजरीवाल Chief Creative Officer - Special Projects, ZEEL कहती हैं , 'यार जुलाहे' की हर कड़ी में पढ़ी जाएगी एक ऐसी दास्तान जो हमारे उपमहाद्वीप जैसी ही अनोखी और अनमोल है. हर एक कहानी लिखने वाले ने सच्चाई को करीब से परखा और एक नए रंग की स्याही में उतारा. उन्होंने ऐसे किरदार रचे जो आज भी हमें जाने पहचाने लगते हैं. इन बेशकीमती कहानियों पर सरमद और कँवल खूसट के साथ एक बार फिर काम करके मुझे बहुत ख़ुशी हुई क्योंकि वह पहले भी हमारे साथ जुड़ चुके हैं. उनमें एक ख़ास कलात्मक संवेदनशीलता है जिसकी इस श्रृंखला को ख़ास ज़रुरत थी. वह साहित्य का तहे दिल से सम्मान करते हैं और 'यार जुलाहे' इसी सम्मान का सुनहरा प्रतीक है।'
जाने माने निर्देशक और अभिनेता सरमद खूसट के अनुसार 'यार जुलाहे' की प्रेरणा उन्हें 'दास्तानगोई ' की परंपरा से मिली जो दक्षिण एशिया में कहानियां रचने और कहने के लिए प्रचलित है. वे कहते हैं, "हमने 'दास्तानगोई ' को एक नए अंदाज़ में ढाला है और live एवं recorded संगीत का भी इस्तेमाल किया है. हमने ऐसे सेट बनाये हैं जो हर कहानी के सार को बयां करते हैं. जैसे की जब मैं 'गुड़िया' नामक कहानी निर्देशित कर रहा था तो हर तरफ गुड़ियां बिखेरी गयी थीं जो अपनी कहानी खुद बयां कर रही थीं। उनके होने से सेट पर एक अजीब सा माहौल घिर आया था जो माहिरा के पाठन का हिस्सा बन कर उसे और प्रभावशाली बना रहा था।"
निर्देशक कंवल खूसट कहती है, "आज की पीढ़ी को ये श्रृंखला परिचित कराएगी उनकी साहित्यिक विरासत से। 'दास्तानगोई ' के अलावा हमने Chamber Theatre technique का भी इस्तेमाल किया है जहां पढ़ने वाले के आस पास एक ख़ास माहौल रचा जाता है. एक ऐसा सेट बनाया जाता है जहां कलाकार कहानी को सिर्फ पढ़े नहीं बल्कि उसमे डूब कर उसे निभाए। हमने कोशिश की है की लेखक की आवाज के साथ खिलवाड़ न हो पर ये प्रयास भी किया है की एक सशक्त माध्यम से उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके।"
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