ऑस्कर अवॉर्ड में इरफान खान को श्रद्धांजलि, एक्टर ने कहा था- ''सबसे बड़ा रिस्क है सपने देखना और उन पर यकीन करना''

4/26/2021 5:48:56 PM

मुंबई. ऑस्कर अवॉर्ड 2021 की शुरूआत हो गई है। कोरोना के कारण ये शो डोल्बी थिएटर से ब्रॉडकास्ट हुआ। 93वें अकैडेमी शो में कई बड़ी फिल्मों को नॉमिनेशन मिला है। इस अवॉर्ड शो में दिवंगत  स्टार्स के लिए भी एक खास सेगमेंट रखा गया, जिसका नाम 'मेमोरियम सेग्मेंट' था। इसमें दिवंगत एक्टर इरफान खान के साथ कई स्टार्स को श्रद्धांजलि दी गई। इरफान ने हॉलीवुड की 'लाइफ ऑफ पाय', 'जुरासिक वर्ल्ड', 'इनफर्नो' और कई अन्य फिल्में में काम किया था।

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इरफान अपनी आंखों से अभिनय करते थे। इरफान जब भी बोलते थे दिल से बोलते थे। वह कुछ भी पढ़कर और सोच कर नहीं बोलते थे। साल 2014 में इरफान ने आईफा के मंच पर एक स्पीच दी थी, जिसमें उन्होंने अपने और अपने परिवार के बारे में काफी कुछ कहा था। एक्टर ने कहा था- रिस्क क्या है...मेरे लिए रिस्क का मतलब सपने देखना है और उनमें पूरा यकीन करना है। मैं जिस परिवार से हूं उसमें कोई क्रिएटिव बैकग्राउंड नहीं था, ना ही मेरा परिवार व्यापारी था। मैं पशोपेश में था। इसी माहौल में मैंने कुछ फिल्में देखी और प्रभावित हो गया। एक्टर बनने का सपना देख लिया। ये मेरे जीवन का सबसे बड़ी रिस्क था। ग्रेजुएशन हो चुका था और मेरे करीबी लोग कह रहे थे कि थिएटर करो लेकिन एक नौकरी भी होना चाहिए। मैंने उनकी बात नहीं मानी। मैं सिर्फ अपने सपने में कूदना चाहता था और मैं सपनों के पीछे हो लिया।'

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इरफान ने आगे कहा था- 'जिंदगी में कुछ ऐसे मौके भी आते हैं जब आपको कदम पीछे हटाने होते हैं, उनके लिए भी हमेशा तैयार रहना चाहिए। यहां रिस्क के मायने बदल जाते हैं। एक समय था जब मैं क्रिकेट खेलता था। मैं सीके नायडू टूर्नामेंट के लिए सेलेक्ट हुआ था। 26 खिलाड़ी चुने गए थे जिन्हें एक कैम्प में जाना था। उस कैम्प में जाने के लिए मैं एक मामूली रकम का इंतजाम नहीं कर पाया। यह वो लम्हा था जब मैंने विचार शुरू किया कि मुझे खेल जारी रखना चाहिए या नहीं। मैंने फैसला लिया कि खेल छोड़ देना चाहिए क्योंकि मुझे इसमें किसी ना किसी सहयोग की जरूरत होगी। मैं नहीं जानता था कि आगे क्या करूंगा फिर भी मैंने क्रिकेट को छोड़ दिया।

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इसके अलावा एक्टर ने कहा था- 'जिंदगी आपको सिखाती है। किसी की राय से थोड़ा-बहुत समझ सकते हैं लेकिन सीख नहीं सकते। तमाम किताबें है, तमाम तरह के जानकार हैं जो आपके जीवन को पटरी पर ला सकते हैं। लेकिन ऐसा होता नहीं है। आप जो खुद-ब-खुद सीखते हैं वो उससे बड़ी सीख किसी और से नहीं पा सकते। मैंने खुद देखा कि मेरे पिता ने मौत को कितनी आसानी से लिया, इससे ही मैं मौत के अपने डर को हटा पाया।'


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Content Writer

Parminder Kaur


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