ये हैं फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' के दमदार डायलॉग्स, जिन्होंने जीता लोगों का दिल

10/3/2018 11:07:19 AM

मुंबई: बाॅलीवुड एक्टर शाहिद कपूर और श्रद्धा कपूर की फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' उत्तरी भारत में बिजली के संकट, बढ़े हुए बिल और खराब बिजली मीटर्स की समस्या से जूझते आम आदमी की कहानी है। यह फिल्म दूषित बिजली कंपनियों के खिलाफ न्याय के लिए लड़ाई पर आधारित है।

फिल्म का निर्देश श्री नारायण सिंह ने किया है। और भूषण कुमार और उनकी टी-सीरीज द्वारा निर्मित किया गया है। इस फिल्म के 5 डायलॉग बहुत बेहतरीन है, जिसके कारण फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया। 

मैं दूसरे की तरह सफेद कपड़े पहनकर हाथ जोड़कर तमाशा देखने वाला ना हूं, मैं काले कपड़े पहन कर एसपीटीएल की नाक में दम करने वाला ठेरा...

 

यह डायलॉग अपने सबसे अच्छे दोस्त को खोने के बाद का है। यह डायलॉग शाहिद तब बोलते हैं जब वह अपने दोस्त के लिए अपना प्यार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का दृढ़ संकल्प दिखाते है।

 

कायर ही था मेरा बेटा, शक्ति ना थी उसमें लड़ने की...

यह डायलॉग उस समय के जब दिव्यांदू शर्मा बिजली के बिल के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। इस डायलॉग को बहुत इमोशंस के साथ बोला जाता है।


जितने से ज्यादा लड़ना जरूरी ठेरा...

इस डायलॉग से श्रद्धा अपने चरित्र को दर्शाती हैं और बेहद अहम बात कहती है। 

 

54 लाख का बिल भेजा था ना तूने, 54 दिन में तेरी बिजली की कंपनी की बत्ती गुल करके ठेरूंगा...

यह डायलॉग फिल्म में शाहिद के कैरेक्यर को दलता है। एक मजाक भरी जिंदगी जीने वाला आदमी कैसे एकदम सीरियस हो जाता है। 


आपके लिए तो यह की केस होगा मैडम हमारे लिए यह लड़ाई है उम्मीद की...

यह डायलॉग शाहिद कोर्ट में विपक्षी वकील यानि यामी गौतम से कहते है।

बता दें कि 40 करोड़ के बजट में बनी यह फिल्म बिजली की कटौती पर आधारित शानदार फिल्म है। फिल्म की कहानी उत्तराखंड के टिहरी जिले की है। कहानी तीन दोस्तों सुशील कुमार पंत (शाहिद कपूर), ललिता नौटियाल (श्रद्धा कपूर) और सुंदर मोहन त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) की है।

ये एक-दूसरे के जिगरी यार हैं। सुशील कुमार ने वकालत की है, वहीं ललिता डिजाइनर हैं और सुंदर ने एक प्रिंटिंग प्रेस का धंधा शुरू किया है। फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया। 

Neha