1993 केस में संजय दत्त की गिरफ्तारी पर सुभाष घई का बड़ा बयान-''उन्हें फंसाया गया था, वे कोई अपराधी नहीं थे''

1/19/2022 10:12:04 AM

बॉलीवुड तड़का टीम. संजय दत्त बॉलीवुड के जाने माने एक्टर्स में से एक हैं। 62 के एक्टर अपनी जिंदगी में न सिर्फ अपने काम बल्कि निजी लाइफ को लेकर भी खूब सुर्खियों में रहे हैं। उनकी निजी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए। साल 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट से जुड़े एक मामले में संजय दत्त को आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। हालांकि अब उनकी फिल्म खलनायक के निर्देशक सुभाष घई ने बताया कि जब संजय दत्त की गिरफ्तारी हुई तो उनको अच्छे से पता था कि वह निर्दोष हैं। 

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दरअसल, जब 1993 में संजय दत्त की गिरफ्तारी हुई थी तो उन्हीं दिनों उनकी फिल्म खलनायक रिलीज हुई थी, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था। अब खलनायक के निर्देशक सुभाष घई ने साल 1993 में हुई संजय दत्त की गिरफ्तारी को लेकर बड़ा बयान दिया है। सुभाष घई ने बताया कि उस मामले में संजय दत्त निर्दोष थे। साथ ही उन्होंने कहा कि वह संजय दत्त के बुरे दौर को फिल्म के प्रोमोशन के लिए भुना सकते थे लेकिन यह उनके सिद्धातों के खिलाफ था। इसलिए सुभाष घई ने फिल्म खलनायक के प्रोमोशन में एक भी रुपया खर्च नहीं किया था।

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मीडिया से बात करते हुए सुभाष घई ने कहा, 'मैं संजय दत्त को तब से जानता हूं जब वह छोटे थे। मैंने उनकी दूसरी फिल्म विधाता का निर्देशन किया था और फिर 10 साल बाद मैंने उन्हें खलनायक के लिए कास्ट करने का फैसला किया था। मैं उन्हें बहुत करीब से जानता हूं। जब वह गिरफ्तार हुए थे तो मैं जानता हूं कि वह निर्दोष थे और उन्हें फंसाया गया था। वह कोई अपराधी नहीं थे।''  

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निर्देशक ने खुलासा किया कि मैंने खलनायक के प्रोमोशन के लिए एक रुपया भी खर्च नहीं किया था। मैं चुप रहा। चोली के पीछे क्या है पर ऐसा बवाल हुआ, 32 राजनीतिक पार्टियां मेरे खिलाफ थीं, मेरे खिलाफ कोर्ट केस थे। लेकिन मैं चुप रहा। मुझे पता था कि मैंने कौन सी फिल्म बनाई है, मुझे पता था कि संजय दत्त क्या हैं, मुझे पता था कि चोली के पीछे क्या है।


क्या था मामला
अप्रैल 1993 में, संजय को आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। जबकि एक महीने बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। 1994 में उनकी जमानत रद्द कर दी गई और उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। अक्टूबर 1995 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।
2006 में टाडा अदालत ने 9 एमएम पिस्तौल और एके -56 राइफल रखने के आरोप में दोषी ठहराया था, लेकिन उन्हें अधिक गंभीर टाडा आरोपों से बरी कर दिया गया था। 2007 में उन्होंने कुछ दिन जेल में बिताए लेकिन तीन सप्ताह से भी कम समय में उन्हें जमानत मिल गई। उन्होंने 2013 से 2016 तक जेल में भी समय बिताया। 


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Content Writer

suman prajapati


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