अमिताभ के साथ 2 बार काम करने से मना कर चुका है ये एक्टर, दोस्ती के बाद भी नहीं की शशि कपूर की फिल्म

1/19/2020 4:52:06 PM

बॉलीवुड तड़का डेस्क। सौमित्र चटर्जी इंडियन सिनेमा के परफेक्ट एक्टर्स में से एक हैं। हालांकि उन्होंने ज्यादातर बंगाली सिनेमा में काम किया है। एक्टर की फिल्मोग्राफी में सत्यजीत रे की 'अपूर संसार' और 'द फेलुदा सीरीज', 'कोनी', 'साट पाके बांधा', 'चारुलता', 'अरनार दिन रात्री', 'झिंदर बंदी' और ऐसे कई महाकाव्य शामिल हैं। वह अब भी काम कर रहे हैं और ऐसी फिल्में कर रहे हैं जो आने वाली जनरेशन को प्रभावित करेंगी। 

60 और 70 के दशक में बनी बहुत सी फिल्मों पर बंगाली फिल्मों या साहित्य का बहुत प्रभाव था। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि बहुत सारे बंगाली फिल्म प्रोड्यूसर हिंदी फिल्में बना रहे थे, उस दौर ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में अब तक की कुछ बेहतरीन फिल्में देखीं। तो जाहिर है, सौमित्र चटर्जी को भी हिंदी फिल्मों की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने उन सभी को ठुकरा दिया।

बहुत कम लोगों को मालूम है कि फिल्म 'आनंद' में डॉ भास्कर बनर्जी की भूमिका के लिए अमिताभ बच्चन पहली पसंद नहीं थे। हृषिकेश मुखर्जी ने इसके लिए सौमित्र चटर्जी को ऑफर किया था। लेकिन डेट इश्यू के कारण उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने कहा था, "1971 की फिल्म 'नंद' में हृषिकेश मुखर्जी ने मुझे डॉ. भास्कर बनर्जी की भूमिका निभाने के लिए संपर्क किया था, लेकिन शूटिंग की तारीखें मेरी कमिटमेंट की वजह से मैंने फिल्म के लिए मना कर दिया। भूमिका को स्वीकार नहीं करने के लिए इस तरह का कोई पछतावा नहीं है।”

उन्होंने श्याम बेनेगल की 'कलयुग' को भी ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा, "श्याम बेनेगल की 1981 की कलयुग, जो महाभारत पर आधारित थी। मैंने उसको भी मना कर दिया। कलयुग को शशि कपूर प्रोड्यूस कर रहे थे और उन्होंने कर्ण की भूमिका निभाई थी। शशि ने मुझे धर्म राज युधिष्ठिर का किरदार ऑफर किया था लेकिन मैंने मना कर दिया, क्योंकि मुझे लगा कि यह मेरी पहली हिंदी फिल्म के लिए सही नहीं है। शशि और मैं करीबी दोस्त थे और हमने हमेशा अपने प्रोफेशनल फैसलों की प्रशंसा की, इसलिए शशि ने मुझे भूमिका करने के लिए दबाव नहीं डाला।"

तीसरी घटना काफी हाल की थी जब अमिताभ बच्चन की पिंक में सौमित्र चटर्जी को एक जज की भूमिका की पेशकश की गई थी। उन्होंने उस भूमिका को भी अस्वीकार कर दिया क्योंकि उन्हें यह भूमिका भी ठीक नहीं लगी।

इन सब के बीच सबसे अच्छी बात यह है कि सौमित्र चटर्जी को इसका कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि उनकी कभी बॉलीवुड में आने की इच्छा नहीं थीं। जो पूरी तरह से ठीक भी है। जब आप सत्यजीत रे के साथ काम कर रहे हैं, तो आप बॉलीवुड या हिंदी सिनेमा में क्यों काम करना चाहेंगे?

Edited By

Akash sikarwar