''सम्राट पृथ्वीराज'' को लेकर सोनू सूद का बयान, बोले- ''अगर डायरेक्टर ने मेरी बात सुनी होती तो फिल्म से ज्यादा दर्शक कनेक्ट होते''

8/6/2022 5:24:11 PM

मुंबई. एक्टर सोनू सूद ने फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' में चंदबरदाई का किरदार निभाया। फिल्म में सोनू के साथ अक्षय कुमार, मानुषी छिल्लर और संजय दत्त नजर आए थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही। सोनू सूद ने हाल ही फिल्म को लेकर बात की है। एक्टर का मानना है कि इस फिल्म में बहुत कुछ ऐसा है जो इसके निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेदी की अपनी सोच की उपज रहा है। 

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सोनू सूद ने कहा- 'मैंने भी चंदबरदाई वाली कविता सुनी है। मैंने फिल्म के निर्देशक डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी से इसका जिक्र किया तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कई बातें अलग अलग लेख में उपलब्ध हैं। हम थोड़ा अलग करते हैं। डॉक्टर साहब इतिहास के काफी जानकार हैं। उनको मैंने कहा था कि 'मत चूके चौहान' वाली बात काफी लोगों को पता है, अगर ऐसा फिल्म में रहे तो लोग उसे ज्यादा कनेक्ट करेंगे। लेकिन उनका कहना था कि मैंने पृथ्वीराज चौहान के बारे में ज्यादा शोध किया है जिसमें 'मत चूके चौहान' वाली बात हर जगह नहीं मिलती है। उन्होंने अपने हिसाब से कहानी को पेश किया। फिल्म के वह निर्देशक थे। हम तो अपनी बात रख सकते थे। मुझे अब भी ऐसा लगता है कि अगर 'मत चूके चौहान' वाली बात फिल्म में होती तो दर्शक उससे ज्यादा कनेक्ट करते।'

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सोनू सूद ने आगे कहा- 'साउथ के मेकर्स आम दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखकर सिनेमा बना रहे है, इसलिए उनकी फिल्में चल रही हैं। जब तक हम ऐसी फिल्में नहीं बनाएंगे तब तक इस बात का रोना हमेशा रहेगा कि हमारी फिल्में नहीं चल रही हैं।' 

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'मत चूके चौहान' के किस्से की बात करें तो 'चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान', सम्राट पृथ्वीराज चौहान को यह बात उनके विश्वस्त चंदबरदाई ने उस समय समझाई, जब उन्हें बंदी बनाकर मोहम्मद गोरी अपने देश ले गया। वहां पृथ्वीराज चौहान को कई यातनाएं सहनी पड़ीं। धातु की गर्म छड़ों से पृथ्वीराज की आंखें फोड़ दी गईं। प्रचलित धारणाओं के मुताबिक चंदबरदाई को अपने परम मित्र के साथ ये दुर्भाव तनिक भी नहीं भाया। चंदबरदाई ने अपनी किसी तरह मुहम्मद गोरी का विश्वास जीता और उसका प्रिय भी बन गया। और, एक दिन, चंदबरदाई ने पृथ्वीराज की ‘शब्दभेदी बाण’ चलने की क्षमता को मुहम्मद गोरी के सामने बहुत आकर्षक ढंग से बताया। तो फिर हुआ यूं कि गोरी की जिज्ञासा हुई पृथ्वीराज की शब्दवेधी बाण की निपुणता देखने की। पृथ्वीराज को दरबार में बुलाया गया और कला प्रदर्शन का आदेश दिया गया। पृथ्वीराज अपनी कला का प्रदर्शन करते रहे और तभी सही मौका देखकर, चंदबरदाई ने दोहा पढ़ दिया। इस तरह चंदबरदाई ने श्रेष्ठ मैत्री का परिचय देते हुए, गोरी का वध करने में पृथ्वीराज की मदद की। इससे पहले की शत्रु की तरफ से कोई और प्रतिघात होता, प्रचलित कहानी के मुताबिक पृथ्वीराज औऱ चंदबरदाई दोनों ने एक दूसरे को मारकर मित्रता अमर कर दी।

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Content Writer

Parminder Kaur


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