पढि़ए, फ्लॉप फिल्म से करियर की शुरुआत करने वाले शशि कपूर, कैसे बन गए सुपरस्टार?

12/4/2017 7:48:00 PM

इंटरटेनमेंट डेस्क: दुनिया से अलविदा कह गए शशि कपूर का बॉलीवुड में नाम एक ऐसे अभिनेता के तौर पर शुमार किया जाएगा जिन्होंने अपने रोमांटिक अभिनय के जरिए लगभग तीन दशक तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। 18 मार्च 1938 को जन्मे शशि कपूर का मूल नाम बलबीर राज कपूर का रुझान बचपन से ही फिल्मों की ओर था और वह अभिनेता बनना चाहते थे।
 

बाल कलाकार के रुप में की थी करियर की शुरुआत
शशि कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर और भाई राजकपूर और शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता थे। उनके पिता यदि चाहते तो वह उन्हें लेकर फिल्म का निर्माण कर सकते थे लेकिन उनका मानना था कि शशि कपूर संघर्ष करें और अपनी मेहनत से अभिनेता बनें। शशि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की। चालीस के दशक में उन्होंने कई फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया।

इनमें 1948 में प्रदर्शित फिल्म आग और 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘आवारा’ शामिल है जिसमें उन्होंने अभिनेता राजकपूर के बचपन की भूमिका निभाई। पचास के दशक में शशि कपूर अपने पिता के थियेटर से जुड़ गए। इसी दौरान भारत और पूर्वी एशिया की यात्रा पर आई बर्तानवी नाटक मंडली शेक्सपियेराना से वह जुड़ गए जहां उनकी मुलाकात मंडली के संचालक की पुत्री जेनिफर केडिल से हुई। वह उनसे प्यार कर बैठे और बाद में उनसे शादी कर ली।

पहली ही फिल्म हो गई थी फ्लॉप
 शशिकपूर ने अभिनेता के रूप में सिने करियर की शुरुआत वर्ष 1961 में यश चोपड़ा की फिल्म ‘धर्म पुत्र’ से की। इसके बाद उन्हें विमल राय की फिल्म ‘प्रेम पत्र’ में भी काम करने का अवसर मिला लेकिन दुर्भाग्य से दोनों ही फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई। इसके बाद शशि कपूर ने मेंहदी लगी मेरे हाथ, होली डे इन बांबे और बेनेजीर जैसी फिल्मों में भी काम किया लेकिन ये फिल्में भी टिकट खिड़की पर बुरी तरह नकार दी गई।

1965 से शुरू हुआ शशि कपूरा का सुनहरा दौर
वर्ष 1965 शशि कपूर के सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी ‘जब जब फूल खिले’ प्रदर्शित हुई। बेहतरीन गीत, संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबर्दस्त कामयाबी ने शशि कपूर को भी स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। वर्ष 1965 मे शशि कपूर के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म फिल्म ‘वक्त’ प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में उनके सामने बलराज साहनी, राजकुमार और सुनील दत्त जैसे नामी सितारे थे।

इसके बावजूद वह अपने अभिनय से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे। इन फिल्मों की सफलता के बाद शशि कपूर की छवि रोमांटिक हीरो की बन गई और निर्माता, निर्देशकों ने अधिकतर फिल्मों में उनकी रूमानी छवि को भुनाया। वर्ष 1965 से 1976 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में शशि कपूर ने जिन फिल्मों में काम किया। उनमें अधिकतर फिल्में हिट साबित हुई।

अस्सी के दशक में रखा फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम
अस्सी के दशक में शशि कपूर ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और ‘जूनून’ फिल्म का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने ‘कलयुग’, ‘36 चैरंगी लेन’, ‘विजेता’, ‘उत्सव’ आदि फिल्मों का भी निर्माण किया। हालांकि ये फिल्म टिकट खिड़की पर ज्यादा सफल नहीं हुई लेकिन इन फिल्मों को समीक्षकों ने काफी पसंद किया। वर्ष 1991 में अपने मित्र अमिताभ बच्चन को लेकर उन्होंने अपनी महात्वाकांक्षी फिल्म ‘अजूबा’ का निर्माण और निर्देशन किया लेकिन कमजोर पटकथा के अभाव में फिल्म टिकट खिड़की पर नाकामयाब साबित हुई हालांकि यह फिल्म बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।

अमिताभ के साथ खास कनेक्शन
शशि कपूर और शर्मिला टैगोर की जोड़ी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और नंदा के के साथ काफी पसंद की गई। इन सबके बीच शशि कपूर ने अपनी जोड़ी सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साथ भी बनाई और सफल रहे। यह जोड़ी सर्वप्रथम फिल्म दीवार में एक साथ दिखाई दी। बाद में इस जोड़ी ने ‘इमान धर्म’, ‘त्रिशूल’, ‘शान’, ‘कभी कभी’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘सुहाग’, ‘सिलसिला’, ‘नमक हलाल’, ‘काला पत्थर’ और ‘अकेला’ में भी काम किया और दर्शकों का मनोरंजन किया।

नब्बे के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण शशि कपूर ने फिल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म ‘जिन्ना’ उनके सिने करियर की अंतिम फिल्म है जिसमें उन्होंने सूत्रधार की भूमिका निभाई। शशि कपूर ने लगभग 200 फिल्मों में काम किया है। शशि कपूर को फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च समान दादा साहब फाल्के से भी नवाजा गया है।