''औरतों के लिए कुछ नहीं बदला,21वीं सदी में भी पढ़ी-लिखी औरतें पतियों की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ रखती हैं'' चर्चा में हैं रत्ना पाठक का ये बयान

7/27/2022 10:07:34 AM

मुंबई: दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह की पत्नी और एक्ट्रेस रत्ना पाठक शाह वैसे तो विवादों और बेबाक बयानों से दूर रहती हैं लेकिन मौका आने पर अपनी बात रखने से पीछे भी नहीं हटती हैं। हाल ही में रत्ना पाठक ने देश की हालत और महिलाओं को लेकर एक ऐसा बयान दिया। उनके इस बयान की हर तरफ चर्चा है। उन्होंने कहा कि देश रूढ़िवादी होता जा रहा है। महिलाओं के लिए देश में कुछ नहीं बदला। आज भी औरतें पढ़ने लिखने के बाद भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं।रत्ना पाठक ने सवाल पूछा है कि क्या हम सऊदी अरब जैसा देश बनना चाहते हैं?

एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में रत्ना पाठक ने कहा- 'देश रूढ़िवादी बनने की राह पर अग्रसर है। पूरा समाज रूढ़िवादी होता जा रहा है। रत्ना पाठक ने यह भी कहा कि हमारे देश में औरतें अभी भी सदियों पुरानी प्रथाओं और रीति-रिवाजों को फॉलो करती आ रही हैं।'

रत्ना पाठक शाह ने कहा- 'समाज रूढ़िवादी होने पर सबसे पहले औरतों पर शिकंजा कसता है। दुनिया की जितने भी रूढ़िवादी समाज हैं, सब पर नजर डाल लीजिए। आप देखेंगे कि औरतें ही हैं जो सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। आज भी औरतों के लिए कुछ भी नहीं बदला है और अगर बदलाव हुआ भी है तो वह बेहद मामूली है। लोग अब अंधविश्वासी होते जा रहे हैं। उन्हें धर्म को स्वीकार कर उसे अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।'

अपनी बात समझाने के लिए रत्ना पाठक ने खुद का एक उदाहरण भी दिया कि किस तरह किसी ने उनसे पूछा था कि क्या वह करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। रत्ना ने कहा- 'क्या मैं पागल हूं? क्या यह डरावना नहीं है कि आज के दौर की पढ़ी-लिखी औरतें करवा चौथ का व्रत कर रही हैं? पतियों की लंबी उम्र की कामना कर रही हैं? देश के संदर्भ में 'विधवा' वाला कॉन्टेक्स्ट कितना डरावना है। मतलब विधवापन को दूर रखने के लिए मैं कुछ भी करूंगी। सच में? 21वीं सदी में हम ऐसी बात कर रहे हैं? पढ़ी-लिखी औरतें ये कर रही हैं।'

रत्ना पाठक शाह ने आगे सऊदी अरब का उदाहरण देते हुए कहा- 'सऊदी अरब में औरतों के लिए क्या स्कोप है? क्या हम सऊदी अरब जैसा देश बनना चाहते हैं? और हम उनके जैसे बन भी जाएंगे क्योंकि यह बहुत ही सुविधाजनक है। औरतें घर में बहुत सारा काम करती हैं जिसके लिए उन्हें कोई पैसे नहीं मिलते। अगर आपको उनके काम के लिए पैसे देने हों तो कौन करेगा? औरतों को उस परिस्थिति में धकेला जाता है।'

 

Content Writer

Smita Sharma