संजीव कुमार की बायोग्राफी है तैयार, पीएम नरेंद्र मोदी ने किया है समर्थन

7/9/2022 1:41:08 PM

इंट्रोडक्शन
जब ऑस्कर विजेता फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने अपनी पहली हिंदी फिल्म बनाने का फैसला किया- वे दो लोगों को फिल्म में कास्ट करना चाहते थे- सर रिचर्ड एटनबरो और संजीव कुमार। रे की 1977 में आई फिल्म 'द चेस प्लेयर्स' 19वीं सदी के लखनऊ पर आधारित है। इस फिल्म की कहानी दो आलसी रईसों के इर्द गिर्द थी जिन्हें शतरंज का बेहद शौक है कि मानो जैसे कि अंग्रेज उनके क्षेत्र को हड़पना चाहते हैं। ऐसे में संजीव कुमार और सईद जाफरी के प्रदर्शन और रे के निर्देशन में बनी इस फिल्म में इतनी ताकत थी कि यह फिल्म बेस्ट फॉरेन लैंगुएज फिल्म के लिए 51 वें अकादमी पुरस्कारों में भारत की तरफ से ऑफिशियल एंट्री बन गई।

 

 

फिल्म को ग्लोबल लेवल पर समीक्षा की गई थी। यह उन 'फोर्टी फिल्म्स' में से एक है जिसे मार्टिन स्कॉर्सेज़ चाहते हैं कि सब देखें। 1989 में, फैबर लंदन ने 'द चेस प्लेयर्स एंड अदर स्क्रीनप्लेस' नाम की एक बुक पब्लिश की। इस किताब के कवर पर संजीव कुमार और को-एक्टर सईद जाफरी हैं। बता दें, संजीव कुमार एक ऐसे अभिनेता हैं, जो कॉमेडी, ट्रेजेडी, रोमांस और ड्रामा सभी शैलियों में चमकते हैं। उनकी फिल्में दुनिया भर के उत्साही सिनेमा प्रेमियों की उन फेवरट फिल्मों में शामिल है जिसे वो हमेशा देखना पसंद करते हैं।

 

बुक के बारे में
संजीव कुमार 1970 के दशक के सबसे पावरफुल अभिनेताओं में से एक थे - गोल्डन एरा ऑफ हिंदी सिनेमा। वह हर निर्देशक के फेल-सेफ आर्टिस्ट थे। जब वो फ्रेम में होते थे, तब दर्शक  राहत की सांस लेते थे कि, 'अब कुछ भी गलत नहीं हो सकता!' रीता राममूर्ति गुप्ता और उदय जरीवाला ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में ऐतिहासिक महत्व रखने वाली इस अहम बायोग्राफी का सह-लेखन किया है। यह बुक 1938 से 1985 तक की उनकी लाइफ के बारे में बताती है और सभी को एंटरटेन करने का वादा करती है। यह हमें संजीव कुमार के बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से एक बनने के उनके सफर पर ले जाती है। इसमें उनके दोस्तों और गुलज़ार, रणधीर कपूर, और को-स्टार्स शर्मिला टैगोर, मौसमी चटर्जी, तनुजा सहित जैसे कई बॉलीवुड नामों के व्यक्तिगत किस्से भी शामिल हैं।

 

संजीव कुमार रोमांस और एक्शन करने वाले टिपिकल बॉलीवुड हीरो के विरोधी थे। वो ग्लैमरस रोल्स करने के इच्छुक नही थे बल्कि उनका इंटरेस्ट वर्सेटाइल कैरेक्टर्स में ज्यादा था। मौसम और आंधी (आपातकाल के दौरान भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित) जैसी फिल्मों में उनकी परिपक्व भूमिकाओं से लेकर अंगूर में उनकी कॉमिक टाइमिंग या कोशीश में विकलांग लोगों के गुस्से तक- वे असल में एक सोच वाले अभिनेता थे। उनका एक्सप्रेसिव फेस, इंफ्लेक्शन और पाजेज, लिप-सिंकिंग के लिए स्वाभाविक सहजता, इन सभी ने उन्हें पूरा पैकेज बना दिया।

 

संजीव कुमार के जीवन की कहानी सुनाने के अपने अनुभव पर कमेंट करते हुए को-ऑथर रीता राममूर्ति गुप्ता ने कहा कि, 'इस बुक को लिखने में मुझे चार साल लगे, 25 से अधिक कॉन्ट्रिब्यूटर्स के साथ कई साक्षात्कार, पांच भाषाओं में 800 से अधिक मैगजीन आर्टिकल पेश किए। संजीव कुमार उन रेयर परफॉर्मर्स में से एक थे, जो इसे निभाने के बजाय खुद 'कैरेक्टर बन गए' और उनके नेशनल अवॉर्ड्स इसे साबित करते हैं। यह किताब उनकी रैग्स टू रिचेज बनने की कहानी, उनकी प्रेरणाओं, उनके डर और उनके गॉड गिफ्टेड टैलेंट को बयां करती है। रीडर्स को लगेगा कि वे उसी कमरे में हैं जहां संजीव कुमार- उनके जीवन को प्रत्यक्ष रूप से समझ रहे हैं। यह एक एंटरटेनिंग रीड है और महत्वाकांक्षी अभिनेताओं के लिए एक ही बार में तैयारी है।"

 

को-ऑथर उदय जरीवाला कहते हैं, "मुझे अभी भी याद है कि संजीव दादा के निधन के बाद बहुत लंबे समय तक, हर बार जब दरवाजा खुला, तो मुझे लगा कि वह घर में एंटर कर रहे हैं। वह मुझे गले लगाते और मेरे साथ खेलते। उन्होंने हमारे जीवन में एक खालीपन छोड़ दिया जिसे हम कभी नहीं भर सकते। मैं और मेरा परिवार संजीव कुमार: द एक्टर वी ऑल लव्ड को पेश करने के लिए उत्साहित हैं। यह किताब लेबर ऑफ लव है और इसे पूरा करने में हमें लगभग चार साल लगे हैं। यह उनके जीवन का ऑथेंटिक रिप्रेजेंटेशन है। पहली बार, उनके फैन्स उन्हें करीब से जान पाएंगे जैसे वह वास्तव में थे। ”

 

लेखक के बारे में
रीता राममूर्ति गुप्ता एक प्रोलिफिट बायोग्राफर, CNBC TV18 की समीक्षक और एक ग्रंथ सूची की लेखिका हैं। उन्हें प्रशंसित रेड डॉट एक्सपेरिमेंट का क्रेडिट दिया जाता है, जो दस साल लंबा और छह देशों का अध्ययन है कि कल्चर कम्युनिकेशन को कैसे प्रभावित करती है। एक बहुभाषाविद, वह पांच भाषाएं बोलती है। यह रीता की तीसरी किताब है। 2018 में, उन्होंने 'रिस्क्रिप्ट योर लाइफ', अ सेल्फ हेल्प ऑटोबयोग्राफिकल नरेटिव लिखी और 2021 में, उन्होंने बाफ्टा नामांकित फिल्म निर्माता राकेश ओमप्रकाश मेहरा की जीवनी 'द स्ट्रेंजर इन द मिरर' लिखी।

 

उदय जरीवाला, संजीव कुमार के भतीजे और उनकी विरासत के उत्तराधिकारी हैं। वह संजीव कुमार फाउंडेशन चलाते हैं, जो एक गैर सरकारी संगठन है और जो थिएटर, कला और शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है। वह एक बिजनेसमैन हैं और अपनी पत्नी नीलम और उनके दो बच्चों आर्यन और साची के साथ मुंबई में रहते हैं।


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Content Writer

Deepender Thakur


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