दहेज की प्रथा से लड़ने के लिए की गई 'पकड़वा विवाह' की शुरुआत

7/17/2019 4:24:37 PM

नई दिल्ली। फिल्म "जबरिया जोड़ी" का कांसेप्ट बिहार में होने वाले 'पकड़वा विवाह' पर आधारित है l लेकिन क्या आप जानते है की इस प्रथा की शुरवात कैसे हुई l 

राजस्थान और बिहार के छोटे गावों में 'पकड़वा विवाह' की प्रथा को आज भी अंजाम दिया जाता है जहाँ लड़को को अगवा कर के, घर की बेटियों से उनकी शादी करवा दी जाती है। लेकिन इस अनूठी प्रथा के पीछे छिपा मुख्य कारण हमारे देश में लिए जाने वाला दहेज है क्युकी गाँव में जो लोग सबसे अधिक दहेज देने में कामयाब होते थे सिर्फ उन्हीं की बेटियों की डोली उठती थी। 

 

इस बारे में  अधिक जानकारी देते हुए प्रशांत सिंह ने कहा :पकड़वा विवाह की प्रथा भारत के पिछड़े गावों में करीबन ३० सालों से चली आ रही है l यह एक तरीकेसे गांव वालों का अपने बेटियों के शादी में दहेज़ देने से बचनेका का तरीका है l क्युकी ज्यादातर गावों में आज भी दहेज के बिना शादी नहीं होती और करीबन 80 % लोग दहेज़ देने के लिए सक्षम नहीं होते तोह अपने बेटियों की शादी करवाने के लिए वह एक आर्थिक रूप से समर्थ लड़के को अघवा कर उसकी शादी जबरन अपनी बेटी से करवा देते है. ताकि दहेज़ के वजैसे उनकी बेटी घर पर न बेटी रहे l यह एकरूप से अपराध होकर भी गांव वालो के बीच अब यह एक प्रथा बन गयी है l    


और अब "जबरिया जोड़ी" के साथ "पकड़वा शादी" के इस अनोखे कांसेप्ट को पहली बार बड़े पर्दे में पेश किया जा रहा है। प्रशांत सिंह के निर्देशन में बनी फिल्म 'जबरिया जोड़ी' एक अनोखी प्रेम कहानी के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है जो पकड़वा शादियों की प्रथा पर आधारित है।



दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के दोनों लेखक, संजीव. के. झा और प्रशांत सिंह इसी राज्य से तालुख रखते हैं, इसलिए उन्होंने तथ्यों पर काम पर करते हुए, कहानी को यथासंभव वास्तविक रखते हुए इसे काल्पनिक रूप दिया है।

शोभा कपूर( Shobha Kapoor), एकता कपूर (Ekta Kapoor) और शैलेश आर प्रशांत सिंह द्वारा निर्मित, जबरिया जोड़ी बालाजी टेलीफिल्म्स तथा कर्मा मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन के तहत बनाई गई है जो 2 अगस्त 2019 में रिलीज होने के लिए तैयार है।

Chandan