युद्ध के दौर में शांति की राह सुझाती है नलिन सिंह की फिल्म ''द प्रोटोकॉल''

3/21/2022 1:57:19 PM

टीम डिजिटल। रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही दुनिया भर में एक बार फिर हिंसा और अहिंसा की बहस तेज हो गई है। दोनों पक्षों की अपनी-अपनी धारा है, अलग-अलग विचारधारा है। विचारधाराओं का यह टकराव एक ऐसी प्रक्रिया है, जो लगातार चलती रहती है। समय और काल के हिसाब से उनकी समीक्षा और मूल्यांकन भी चलता रहता है। दुनिया भर में शांति-अहिंसा और लोकतंत्र को चाहने वालों की बड़ी तादाद है। लेकिन ऐसे लोग भी कम नहीं हैं, जिन्हें तानाशाही, हिंसा और युद्ध भी लुभाते हैं। इसलिए आज भी महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वालों के साथ-साथ, हिटलर में अपना आइडियल खोजने वाले भी बड़ी संख्या में मिलते हैं। महात्मा गांधी और एडॉल्फ हिटलर दुनिया की दो ऐसी चर्चित शख्सियतें हैं, जिन्हें तमाम फिल्मकारों ने अपने-अपने तरीके से परिभाषित किया है। ऐसी ही विषयवस्तु के कारण नलिन सिंह की नई फिल्म 'द प्रोटोकॉल' भी आजकल चर्चा में है। 'द प्रोटोकॉल' के जरिये एक्टर, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर नलिन सिंह ने एक बेहद चुनौतीपूर्ण विषयवस्तु को पर्दे पर उतारा है। 25 मिनट की यह शॉर्ट पीरियड फिल्म गांधी और हिटलर की दो ध्रुवीय विचारधाराओं के टकराव को बेहद संजीदगी और ईमानदारी से पर्दे पर पेश करती है। 'द प्रोटोकॉल' का निर्माण एनआरएआई प्रोडक्शन ने किया है। 26 मार्च को ओटीटी प्लेटफार्म हंगामा डॉट कॉम और वीआई मूवीज पर 'द प्रोटोकॉल' के साथ इसी प्रोडक्शन की तीन अन्य शॉर्ट फिल्में ए स्क्वॉयड, रम विद कोला और कॉलिंग चड्ढा भी रिलीज हो रही हैं। अप्रैल के पहले हफ्ते में ये फिल्में एमएक्स प्लेयर पर भी आ जाएंगी। 

इससे पहले नलिन सिंह ने माई वर्जिन डायरी, इन्द्रधनुष, गांधी टू हिटलर और ए नाइट बिफोर द सर्जिकल स्ट्राइक जैसी मशहूर फिल्में बनाई हैं, जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया है और समीक्षकों ने भी खूब सराहा है।

विशेषकर भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई गई यह फिल्म कहानी के दो मुख्य पात्रों, महात्मा गांधी और हिटलर के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में गांधी और हिटलर के वैचारिक मतभेद को चित्रित किया गया है। निर्देशक नलिन सिंह ने दोनों पात्रों के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है। फिल्म दिखाती है कि कैसे महात्मा गांधी ने अपने दिमाग की ताकत से एक बड़ी जनसंख्या की सोच-समझ को प्रभावित किया, वहीं हिटलर ने हिंसा के दम पर दुनिया के एक हिस्से पर राज किया। एक तरफ गांधी हैं, जो लोगों के मन को बदलने और अहिंसा में यकीन रखते हैं, तो दूसरी तरफ हिटलर है, जो लोगों की जान लेने और हिंसा में विश्वास करता है। यह फिल्म महात्मा गांधी की सोच और अहिंसा की ताकत को भी सामने रखती है, जहां भारत की स्वतंत्रता के बाद गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना गया और दुनिया में उनकी अहिंसा की थ्योरी को खुले दिल से आत्मसात किया। 

हिटलर की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए फिल्म दिखाती है कि कैसे अपने आखिरी समय में उसने ईवा ब्राउन से शादी कर ली और अपने समर्थकों के लिए एक खत छोड़ गया। 'द प्रोटोकॉल' के जरिये नलिन सिंह दुनिया के दो शक्तिशाली व्यक्तियों के परस्पर विरोधी दर्शन के बारे में बात करते हैं। फिल्म में आकाश डे ने हिटलर और प्रिय रंजन त्रिवेदी ने गांधी का किरदार निभाया है। ईवा ब्राउन के रोल में पूनम झा चुघ नजर आएंगी।  

फिल्म के मकसद और सामाजिक संदेश पर चर्चा करते हुए नलिन सिंह कहते हैं, "यह फिल्म दुनिया भर में लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूत करने की एक कोशिश है, जिससे अखंड भारत के सपने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। हम कहना चाहते हैं कि इस खूबसूरत ख्वाब को सिर्फ प्रेम, अहिंसा और सद्भाव के जरिये ही हकीकत में बदला जा सकता है। भारत विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक मान्यताओं वाला देश है। फिल्म के जरिये हम बताना चाहते हैं कि प्रेम और सद्भाव से ही हम देश में संविधान और लोकतंत्र को स्थापित कर सके। इसलिए आज पूरी दुनिया को शांति-अहिंसा को अपनाने की जरूरत है। हमारी फिल्म इसी दिशा में एक छोटा सा प्रयास है।" 

'द प्रोटोकॉल' में सूत्रधार की टिप्पणियों और दृश्यों के माध्यम से विरोधाभासी विचारों को प्रस्तुत किया गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नलिन सिंह की यह फिल्म विश्व इतिहास और विश्व राजनीति को बदलने वाले युग का मूल्यांकन करने वाला एक निष्पक्ष दस्तावेज साबित होगी।

Content Writer

Deepender Thakur