''शमशानों कब्रिस्तानों में कम्पटीशन कराने वाला,क्या खाक तुम्हारे लिए हॉस्पिटल बनवायेगा'' कोरोना काल में नकुल मेहता का प्रशासन पर तंज

4/20/2021 1:38:32 PM

मुंबई: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश की हालात को काफी बिगाड़ दिया है। हाॅस्पिटलों में बेड और ऑक्सीजन की कमी आ गई है। देश की इस हालात ने हर किसी को परेशान कर दिया है।

हाल ही में 'इश्कबाज' फेम नकुल मेहता ने देश भर में कोरोना वायरस की वजह जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं, उसे लेकर प्रशासन और नेता पर उंगलियां उठाते कविता सुनाई। इस कविता का टाइटल है- मरघट का शहंशाह। नकुल ने इस कविता को शेयर करते हुए @ajaxsingh को टैग किया है और बताया है कि लेखन उनकी है।  वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।

 

कविता के बोल- 

 उसकी ख्वाहिशों की तो कोई इंतेहा ही न थी
वो ऊँचे से ऊँचे मक़ामों पर बढ़ता गया
लाशों की सीढ़ियाँ चढ़ता गया
खुदा कहलाने का शौक था जिसे
मरघट का मसीहा बन के रह गया

 

तुम पत्थर की कब्रें बनाना बंद करो
वो मंच समझकर चढ़ जायेगा
फिर शुरू कर देगा भाषण, ये सोचकर
कोई न कोई मुर्दा तो ज़रूर सुनने आएगा

 

जिसने दिन रात बस ज़हर घोला हो हवा में
क्यूँ उम्मीद करते हो, तुम्हारे लिए ऑक्सीजन लायेगा
शमशानों कब्रिस्तानों में कम्पटीशन करानेवाला
क्या ख़ाक तुम्हारे लिए हॉस्पिटल बनवायेगा

 

ऐसा न समझो कि उसे तुमसे मोहब्बत नहीं
या तुम्हारे ज़िंदा रहने में उसे कोई इंटरेस्ट नहीं
बस उससे कुछ कहो मत, सुनते रहो
फिर देख लेना मियाँ, ज़िन्दों की तो क्या ही कहो
वो बहुत जल्द मुर्दों से भी वोट डलवाएगा

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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सोशल मीडिया पर नुकल मेहता की इस कविता की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। लोग इसे पसंद कर रहे हैं और लगातार रीशेयर भी कर रहे हैं।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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कुछ दिन पहले ही हुई है 2 महीने के बेटे की सर्जरी

 

बता दें कि नकुल मेहता के 2 महीने के बेटे सूफी की सर्जरी हाल ही में हुई है।  सूफी को बायलेट्रल इन्गुइनल हर्निया जैसी समस्या थी। इस बात की जानकारी नकुल की पत्नी जानकी ने दी है।  काम की बात करें तो नकुल  सीरियल 'इश्कबाज', 'दिल बोले ओबेरॉय', 'प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा प्यारा' में नजर आए थे।

Content Writer

Smita Sharma