रिलीज से पहले सुर्खियों में 'ठाकरे', 'लुंगी हटाओ पुंगी बजाओ' डायलॉग पर विवाद

12/28/2018 12:01:27 PM

मुंबई: शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की बायोपिक फिल्म का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है। ट्रेलर  रिलीज होते ही फिल्म विवादो में घिर गई है। ये विवाद फिल्म के कुछ डायलॉग्स को लेकर शुरू हुआ है। 'ठाकरे' के ट्रेलर में उस दौर में गर्माए विवादित मुद्दों को भी शामिल किया गया है, जिनमें राम मंदिर का मुद्दा भी शामिल है। फिल्म में विवादित ढांचा विध्वंस और 1992 दंगों का भी जिक्र किया गया है। लेकिन इसमें मुंबई में रहने वाले साउथ इंडियन को लेकर हुए विरोध को भी शामिल किया गया है, जिसमें कुछ विवादित डायलॉग्स को लेकर अब विवाद शुरू हो गया है।

 


फिल्म के मराठी ट्रेलर में 'लुंगी हटाओ पुंगी बजाओ' डायलॉग सुनाई दे रहा है। इसे लेकर साउथ के एक्टर सिद्धार्थ ने विरोध जताते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, 'ठाकरे' फिल्म में नवाजुद्दीन ने उठाओ लुंगी, बजाओ पुंगी डायलॉग दोहराया.. दक्षिण भारतीयों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली भाषा... जिस शख्स ने ये बात कही उसे महान बताया जा रहा है.. क्या आप प्रोपगैंडा फैलाकर पैसे कमाना चाहते हैं.. नफरत बेचना बंद करिए।

 

 


फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के मौके पर राऊत ने यहां बुधवार को मीडिया से कहा, "हमने बालासाहेब को ठीक वैसे ही पेश किया है जैसे वह हैं, जैसे उन्होंने अपने लोगों और राजनीतिक स्थिति पर विचार रखें हैं। हमने कुछ भी गढ़ा नहीं है। फिल्म के निर्देशक अभिजीत पनसे ने फिल्म में सबकुछ वास्तविक तरीके से दर्शाया है। कोई भी फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता। यह ठाकरे की कहानी है। कैसे कोई उसे रोक सकता है? बालासाहब ने अपने समय में कई लोगों पर प्रतिबंध लगाया। क्या आप लोग इसे भूल गए? कैसे सीबीएफसी यह निर्णय कर सकती है कि बाला साहेब की जिंदगी में क्या सही था या क्या गलत था? केवल परिवार के लोग यह जानते हैं। मैं निश्चिंत हूं कि सेंसर बोर्ड बालासाहेब के दृष्टिकोण को समझेगा। वे समय लेंगे, लेकिन वे समझ जाएंगे।"

 

 


ये है 'लुंगी हटाओ पुंगी बजाओ'

 

जानकारी के लिए बता दें कि ये विवादित डायलॉग फिल्म के हिंदी ट्रेलर में नहीं मराठी ट्रेलर में सुने जा सकते हैं। दक्षिण भारतीयों के खिलाफ 1960 और 70 के दशक में बाल ठाकरे ने 'लुंगी हटाओ पुंगी बजाओ' अभियान चलाया था। ठाकरे मुंबई में दक्षिण भारतीय लोगों की मौजूदगी के सख्त खिलाफ थे। मुंबई में दक्षिण भारत से आकर नौकरी करने वालों के नाम बाल ठाकरे अपनी मैगजीन में छाप दिया करते थे। ठाकरे की पार्टी के शिव सैनिक तमिल फिल्मों की स्क्रीनिंग का विरोध करते और रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ कर देते थे। इस अभियान का असर हुआ कि बाल ठाकरे मराठियों के बड़े नेता बनकर उभरे। यही नहीं महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर के जिले बेलगाम की जमीन को लेकर भी बाल ठाकरे ने जो लंबी लड़ाई लड़ी उसका जिक्र भी फिल्म में है। गौर करने वाली बात ये है कि फिल्म ऐसे वक्त रिलीज हो रही है जब देश में राम मंदिर का मुद्दा गरमाया हुआ है। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। फिल्म अगले साल 23 जनवरी को रिलीज होगी। 

Konika