MOVIE REVIEW: एजुकेशन सिस्टम में होने वाले घोटालो का पर्दाफाश करती है 'वाय चीट इंडिया'

1/18/2019 12:39:23 PM

मुंबई: बॉलीवुड एक्टर इमरान हाशमी की फिल्म 'वाय चीट इंडिया' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई हैं। ये फिल्म भारतीय एजुकेशन सिस्टम पर आधारित है। इमरान स्टारर इस फिल्म में भारतीय एजुकेशन सिस्टम से जुड़ी परेशानियों और परीक्षा के दौरान होने वाले वाली चीटिंग को दर्शाया गया है, जिसे चीटिंग माफिया अंजाम देते हैं। फिल्म अच्छी है पर इसका विषय कही न कही ड्राय सा लगता है, जिससे हर व्यक्ति को इससे जोड़ पाना आसान नजर नहीं आता। फिल्म वाय चीट इंडिया में चीटिंग माफिया का पर्दाफाश किया गया है कि वह किस प्रकार दीमक की तरह एजुकेशन सिस्टम को खराब करता है। 

 

 

कहानी

राकेश सिंह उर्फ रॉकी(इमरान हाशमी) अपने परिवार और सपनों को पूरा करने के लिए चीटिंग की दुनिया में निकल पड़ता है। राकेश वह माफिया है जो शिक्षा व्यवस्था की खामियों का जमकर फायदा उठाता है। राकेश गरीब और अच्छे पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को इस्तेमाल करता है। वो उन गरीब बच्चों से अमीर बच्चों की जगह एंट्रेंस एग्जाम्स दिलवाता है और बदले में उन्हें पैसे देता है। उसे लगता है कि अमीर बच्चों से पैसे लेकर गरीब बच्चों को उनकी जगह एग्जाम दिलाकर और उन्हें पैसे देकर वो कोई अपराध नहीं कर रहा है। लेकिन फिर तभी उसका एक गेम गलत हो जाता है और वो पुलिस के हत्ते चढ़ जाता है। अब उसके बाद क्या होता है ये तो आपको फिल्म देखकर पता चलेगा।

 

 

एक्टिंग

इमरान की एक्टिंग में काफी मैच्योरिटी देखने को मिली। इमरान ने जिस तरह खुद को राकेश के किरदार में ढाला है वो काफी काबिलेतारीफ हैं। इस फिल्म के जरिए डेब्यू कर रहीं श्रेया ने भी अपना काम अच्छे से किया है।इम रान ने दूसरी बार कॉनमैन (चीट करने वाला व्यक्ति) की भूमिका अदा की है। इससे पहले वे फिल्म 'राजा नटरवरलाल' में इस प्रकार का किरदार निभाते नजर आए थे। 


निर्देशक सौमिक सेन ने फिल्म के विषय एजुकेशन सिस्टम को चीटिंग माफिया से होने वाले नुकसान को दर्शकों के सामने सफल तरीके से रखा है। फिल्म अच्छी है लेकिन दर्शकों के साथ बीच-बीच में कनेक्ट जरूर टूट जाता है लेकिन इमरान का अभिनय इसे संभाल लेता है। फिल्म में शानदार डॉयलॉग्स भी है जो दर्शकों को पसंद आएंगे। फिल्म में आठ गाने हैं जिन्हें गुरु रंधावा, सौमिक सेन, अरमान मलिक और तुलसी कुमार ने आवाज दी है। कुल मिलाकर यह एक अच्छी फिल्म है जो एजुकेशन सिस्टम में चीटिंग माफिया की पोल खोलती है।  

Konika