MOVIE REVIEW: जज़्बाती कर देगी फिल्म ''गोल्ड''

8/15/2018 3:24:32 PM

मुंबई: बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म 'गोल्ड' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म की कहानी शुरु होती है 1936 में हुए ओलंपिक से जब ब्रिटिश इंडिया के तहत भारतीय टीम गोल्ड मेडल तो जीत लेती है लेकिन उनके दिल में एक कसक रह जाती है। कसक अपना झंडा ना फहराए जाने की,अपना राष्ट्रगान ना गाए जाने की...उसी वक्त टीम का मैनेजर तपन दास (अक्षय कुमार) प्रण लेता है कि एक दिन जब देश आजाद होगा तो फिर गोल्ड मेडल जीतेंगे और अपना तिरंगा फहराएंगे। इसके बाद विश्व में चल रहे अशांति की वजह से कई बार ओलंपिक रद्द हो जाता है। आखिरकार आजादी के जंग के वक्त तपन दास को पता चलता है कि 1948 में ओलंपिक होने वाला है। वह ठान लेता है कि हॉकी में गोल्ड मेडल भारत ही लाएगा। आजादी तो मिल जाती है लेकिन बंटवारे की शर्त पर। देश के साथ भारतीय टीम भी भारत-पाकिस्तान में बट जाती है। टीम के बेहतरीन खिलाड़ियों में से ज्यादातर पाकिस्तान चले जाते हैं। जब हर तरफ नफरत की आग हो और दंगे-फसाद हो रहे हों ऐसे में तपन दास कैसे टीम इंडिया को फिर तैयार करता है? आखिर तक कैसे अपने अनुकूल परिस्थियां ना होने के बावजूद देश का सिर गर्व से ऊंचा करता है। गुलामी का बदला जिस तरीके से तपन दास लेता है वह आपको भी झकझोर देगा।

 

PunjabKesari

 

अक्षय कुमार इस फिल्म में हीरो के तौर पर खुद को  पेश नहीं करते हैं। ना तो वह हॉकी के कोच खुद बनते हैं और ना ही कैप्टन। लेकिन सेलेक्शन से लेकर बजट तक की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है। उसी तरह फिल्म की भी पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर है। कहीं-कहीं फिल्म में अक्षय कुछ जगहों पर खास इंप्रेस नहीं कर पाते हैं लेकिन चूंकि वो देश की बात करते हैं तो वो गलतियां भी ज्यादा नज़र नहीं आती। इस फिल्म में अच्छे एक्टर्स की भरमार है लेकिन उन सभी को अक्षय कुमार की वजह से स्क्रीन पर ज्यादा जगह नहीं मिलती।

 

PunjabKesari

 

टीवी एक्ट्रेस मौनी रॉय ने इस फिल्म से बड़े पर्दे पर एंट्री मारी है जो कि शानदार है। हालांकि उनके फैंस को निराशा ये जानकर होगी कि उनका रोल काफी छोटा है। उन पर फिल्माया गया गाना आप देख चुके है और बाकी जो ट्रेलर में दिखा है उतनी ही देर वो फिल्म में नज़र आईं हैं। लेकिन कुछ समय में ही उन्होंने बेहतरीन एक्टिंग की है। बंगाली बोलते हुए वो परफेक्ट लगती हैं। पर्दे पर मौनी को देखते समय खूबसूरती के साथ एक्टिंग का ऐसा कॉकटेल बनता है जो वाकई देखने वाले को मदहोश कर देगा। अक्षय कुमार के साथ उनकी केमेस्ट्री जंचती है। इसके अलावा यहां विनीत कुमार, कुनाल कपूर, अमित साध जैसे अच्छे एक्टर्स भी हैं जिन्होंने अपने रोल को बखूबी निभाया है। ये सभी पर्दे पर जमते हैं और अपने सीन में जान भरते हैं। आजादी के बाद हॉकी टीम को ट्रेनिंग देने के लिए कुनाल कपूर होते है। वहां पर आपस में ही बिखरी हुई टीम को जब वो मोटिवेट करते हैं तो 'चक दे इंडिया' के शाहरुख की याद आ जाती है। यहां फिल्म टीम के प्लेयर्स शहरों और राज्यों में बंधे होते हैं और उन्हें जिस तरीके से वो एक बनाते हैं वो कुछ ज्यादा वास्तविक नहीं लगता।

 

PunjabKesari

 

इस फिल्म को रीमा कागती ने डायरेक्ट किया है जो इससे पहले आमिर खान की 'तलाश' फिल्म का निर्देशन भी कर चुकी हैं। इस फिल्म में बहुत सी कमियां हैं। फिल्म बहुत लंबी है जो छोटी की जा सकती थी। पूरी फिल्म करीब 2 घंटे 33 मिनट की है। स्लो भी है। कुछ सीन शुरु होते हैं तो खत्म ही नहीं होते। शुरुआत से लेकर दो घंटे तक की फिल्म पूरी बोझिल है। इसमें तपन दास का एक डायलॉग है कि खिलाड़ी अपने राज्यों और शहरों के लिए नहीं बल्कि देश के लिए खेल रहे हैं। उन्हीं कंफ्यूज्ड खिलाड़ियों की तरह रीमा कागती की उलझन भी फिल्म में साफ झलकती है। उन्हें शायद ये समझ नहीं आया कि वो फिल्म सिर्फ अक्षय कुमार के लिए बना रही हैं, देश को हॉकी में मिले पहले गोल्ड मेडल की दास्तां दिखा रही हैं जिसमें सभी खिलाड़ियों की भी अहम भूमिका थी। एक कमी ये भी खलती है कि यहां जो हॉकी मैच दिखाए जाते हैं उन दृश्यों में ठहराव नहीं है, वो खेल वास्तविक नहीं लगता।

 

PunjabKesari

 

उनके डायरेक्शन की एक खास बात है जो इस फिल्म को एक बार देखने लायक बनाती है। वो वजह है फिल्म का क्लाइमैक्स जो कि बहुत ही बंधा हुआ है। ग्रेट ब्रिटेन और इंडिया के बीच हुए इस हॉकी मैच को जिस तरह से फिल्माया गया है वो बहुत ही इमोशनल करने वाला है। करीब दो घंटे तक आपको बोर करने वाली ये फिल्म क्लाइमैक्स में ऐसी है कि आप स्क्रीन से नज़रें नहीं हटा पाएंगे। इस फिल्म में कुल 8 गाने हैं। लेकिन कोई भी गाना ऐसा नहीं है जो आपमें जुनून भर दे। फिल्म देखने के बाद सिनेमाहॉल से निकलते समय आपको कोई भी गाना याद नहीं रहेगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Konika


Recommended News

Related News