Durgamati Review: फैंस की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी भूमि पेडनेकर की ''दुर्गामती'', राजनीतिक भ्रष्टाचार में उलझी है फिल्म की कहानी

12/12/2020 3:20:07 PM

मुंबई. जिसका फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। वह इंतजार अब खत्म हो गया है। एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर की फिल्म 'दुर्गामती' रिलीज हो गई है। फिल्म को 11 दिसंबर को अमेज़न प्राइम पर रिलीज किया गया है।फिल्म के रिलीज होने के बाद फैंस से अच्छा रिएक्शन नही मिल रहा है। फिल्म ने फैंस को निराश किया है। आइए जानते हैं फिल्म का रिव्यू.......

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फिल्म की कहानी

फिल्म की शुरूआत पेड़ पर लटकती लाश, सीढ़ियों पर गिरी महिला और जान बचाने के लिए भागते ढेर सारे बच्चे के सीन से शुरू होती है। ये सब एक गांव में हो रहा है। जहां एक पुरानी हवेली है। ये हवेली रानी दुर्गामती की है। रानी दुर्गामती को इस हवेली में बुरी तरह से मार दिया गया था। जिसके बाद से उनकी आत्मा इस हवेली में भटक रही है। गांव के लोग इस डर के कारण उस हवेली के आस-पास भी नही मंडराते। इसके बाद कहानी आगे बढ़ती है और जल संसाधन मंत्री ईश्वर प्रसाद (अरशद वारसी) आते हैं। जो अपने आप को जनसेवक बताते हैं। उन्होंने ने अपनी इमेज ऐसी बना रखी होती है कि सब उन्हें ईमानदार और मसीहा समझते हैं। उन्होंने सरकार के खिलाफ भी आवाज बुलंद की है। दरअसल एक केस चल रहा है जहां पर प्राचीन मंदिरों से भगवान की मूर्तियां गायब हो रही हैं। जिससे गांव वाले लोग बहुत नाराज हैं और सरकार से उनका भरोसा उठ गया है। इसके बाद फिल्म के तीसरे पार्ट में चंचल कुमार (भूमि पेडनेकर) से मुलाकात होती है। जो एक IAS ऑफिसर है। जिसके कारण ईश्वर प्रसाद भी उन्हें काफी इज्जत देते हैं।

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चंचल कुमार अपने काम और नीयत से सबको इंप्रेस करती है। इसके बाद चंचल कुमार मुसीबत में फंस जाती है। चंचल कुमार अपने प्रेमी और लोगों के हक के लिए (करण कपाड़िया) को गोली मार दी है। जिसके कारण चंचल को जेल जाना पड़ रहा है। इसके बाद फिल्म के चौथे पार्ट में एंट्री होती है सीबीआई ऑफिसर (माही गिल) की। जिसकी जिम्मेदारी है। मंत्री ईश्वर प्रसाद को भ्रष्टाचार मामले में फंसाने की। चंचल भी मंत्री ईश्वर प्रसाद के करीब है उससे भी पूछताछ होनी है। गलत काम छिपाकर किए जाते है इसलिए चंचल को दुर्गामती हवेली में ले जाया जाता है। जहां उससे पूछताछ की जाती है। यही फिल्म की कहानी है। अब चंचल का क्या हाल होगा? क्या दुर्गामती की भटकती आत्मा चंचल को मार देगी? क्या ईश्वर प्रसाद को भ्रष्टाचारी साबित कर दिया जाएगा? चोरी होने वाली मूर्तियों का क्या राज है? इन सवालों के जवाब फिल्म को देखकर मिल जाएंगे।

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रिव्यू

फिल्म ने फैंस को काफी निराश किया है। फिल्म की फैंस की उम्मीदों पर करी नही उतर पाई है। फिल्म की कहानी काफी बोरिंग है। फिल्म भूमि जरूरत से ज्यादा चल्ला रही है। जो अजीब लग रहा है। अरशद वारसी भी ठीक-ठाक ही हैं। माही गिल की एक्टिंग भी कुछ खास नही है। 

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डायरेक्शन 

फिल्म को अशोक ने डायरेक्ट किया है। अशोक ने फिल्म को सफल बनाने के लिए काफी कोशिश की पर वह कामयाब नही हो पाए। वह सभी किरदार को एक माला मे पिरोने में न कामयाब रहे।

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