कमाल का है डिंपल कपाड़िया के भांजे की फिल्म 'ब्लैंक' का सस्पेंस

5/3/2019 4:43:26 PM

मुंबई: बॉलीवुड एक्टर सनी देओल और करण कपाड़िया की फिल्म 'ब्लैंक' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म से डिंपल कपाड़िया के भांजे, करण कपाड़िया ने डेब्यू किया है। एक तेज़ तर्रार कहानी, हैरत में डाल देने वाला सस्पेंस है। 

 


कहानी


'ब्लैंक' की कहानी एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर सिद्धू दीवान (सनी देओल) की, जो एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड का हेड है। वो अपनी ड्यूटी को लेकर इतना वफादार है कि वो इस मामले में किसी को नहीं बख्शता, चाहे उसका परिवार ही क्यों ना हो। दीवान को एक बेहद अजीब स्थिति का सामना करना पड़ता है जब एक जख्मी शख़्स (करण कपाड़िया) बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंचता है। इस शख्स की छाती पर बम लगा है। उसकी धड़कन पर बॉम्ब की टाइमिंग सेट की गई है। सिद्धू को समझ आ जाता है कि अगर इस शख्स का दिल धड़कना बंद हुआ तो बम फट जाएगा। मुंबई शहर पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। और परेशानी भरी स्थिति ये भी है कि ये करण जो आतंकी है, अपनी याददाशत खो चुका है और उसे नहीं पता कि वो एक आतंकवादी है या नहीं।

 

हालांकि, खतरा केवल यही तक सीमित नहीं है। एटीएस को एहसास होता है कि मुंबई शहर को बर्बादी से पहले बचाना होगा। सनी देओल अपने 90 के दशक के हीरो वाले अंदाज़ में आतंकवाद पर काबू पाने के लिए निकल पड़ते हैं और कई आतंकियों की राइफल के सामने सनी की छोटी सी रिवॉल्वर भारी पड़ती है।

 

 

एक्टिंग

सनी देओल यूं तो कुछ सीन्स में प्रभावित करते हैं, लेकिन कई सीन्स में वे जमते नहीं हैं.। फिल्म के मेकर्स कहीं ना कहीं ये भूल जाते हैं कि अब बॉलीवुड में बीस साल पुराना दौर नहीं रह गया है और फिल्मों में मेलोड्रामा की जगह लोग रियलिज्म को लेकर सतर्क हो गए हैं।

 


डिंपल कपाड़िया के कजन करण कपाड़िया बॉलीवुड में अपनी पहली परफॉर्मेंस से प्रभावित करते हैं। उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता कि वे दर्शकों को इंप्रेस करने के लिए बहुत ज्यादा कोशिश कर रहे हैं। फिल्म की शुरुआत में जब प्लॉट बदलता है तो कहानी को लेकर दिलचस्पी बढ़ती है और ऐसा सिर्फ करण की परफॉर्मेंस की वजह से ही संभव हो पाता है।

Konika