संघर्ष के दिनों को याद कर बोले मनोज बाजपेयी ''आत्महत्या करने के काफी करीब था, दोस्तों ने दिया मेरा साथ''
7/2/2020 10:25:14 AM

बॉलीवुड तड़का टीम. एक्ट्रेस सुशांत सिंह की मौत के बाद फिल्म और टीवी इंडस्ट्री के कई स्टार्स ने अपने डिप्रेशन पर खुलकर बात की है। इस दौरान कई स्टार्स ने ये भी खुलासा किया कि कई बार उन्होंने डिप्रेशन में आकर सुसाइड करने की भी कोशिश की। इसी बीच एक्टर मनोज बाजपेयी ने भी अपनी पर्सलन लाइफ को लेकर खुलासा किया और बताया कि वो मौत के काफी करीब आ गए थे।
हाल ही में मनोज बाजपेयी ने 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' नाम के इंस्टाग्राम पेज पर अपनी आपबीती शेयर करते हुए खुलासा किया कि करियर के शुरुआती दिनों में उन्हें किस तरह का स्ट्रगल करना पड़ा और किस तरह तंग आकर सुसाइड करने का कदम उठाने जा रहे थे।
एक्ट्रेस ने लिखा, मैं एक किसान का बेटा हूं, मैं 5 भाई-बहनों के साथ बिहार के एक गाँव बड़ा हुआ। हम एक झोपड़ी वाले स्कूल पढ़े। हमने एक साधारण जीवन व्यतीत किया, लेकिन जब भी हम शहर जाते तो थियेटर जाते। मैं बच्चन फैन था और उनके जैसा बनना चाहता था। जब मैं 9 साल की उम्र में मुझे एहसास हो गया था कि एक्टिंग ही मेरी मंजिल है। लेकिन मैं सपने देखने की हिमाकत नहीं कर सकता था और मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। लेकिन मेरा दिमाग किसी और चीज पर फोकस नहीं कर पा रहा था तो 17 साल की उम्र में मै दिल्ली यूनिवर्सिटी चला गया। वहां मैंने थियेटर किया लेकिन मेरे परिवार वालों को इसके बारे में कुछ पता नहीं था। आखिरकार मैंने अपने पिताजी को पत्र लिखा, वे नाराज नहीं हुए बल्कि मुझे 200 रूपए फीस के तौर पर भेज दिए।
एक्टर ने आगे लिखा, मेरे घरवालों को लगता था कि मैं किसी काम का नहीं, लेकिन मैंने भी आखें मूंद लीं। मैं एक आउटसाइडर था, जिसमें मैं फिट होने की कोशिश कर रहा था। मैंने अंग्रेजी सीखी और हिंदी-भोजपुरी तो मुझे आती ही थी। मैंने फिर एनएसडी में आवेदन किया, लेकिन तीन बार मुझे रिजेक्ट कर दिया गया। मैं आत्महत्या करने के करीब आ गया था, लेकिन मेरे दोस्तों ने मेरा खूब साथ दिया। मेरे दोस्त मेरे बगल में सोते थे और मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे। जब तक इंडस्ट्री में मैने अपना नाम नहीं बना लिया तब तक उन्होंने मेरा साथ दिया।
मनोज ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा, एक बार एक विज्ञापन ने मेरी तस्वीर को फाड़ दिया था और मैंने एक दिन में 3 प्रोजेक्ट खो दिए थे। मुझे अपने पहले शॉट के बाद 'बाहर निकलने' के लिए भी कहा गया था। 'हीरो' के लिए मेरा चेहरा फिट नहीं बैठा, इसलिए उन्होंने सोचा कि मैं इसे बड़े पर्दे काम नहीं कर सकता। लेकिन मेरे पेट की भूख सफल होने की मेरी भूख को नहीं मिटा सकती थी। 4 साल के संघर्ष के बाद मुझे महेश भट्ट की टीवी सीरीज में काम करने का मौका मिला। मुझे प्रति एपिसोड 1500 रुपये मिले। वहां मेरे काम को सराहा गया और फिर मुझे बॉलीवुड की पहली फिल्म 'सत्या' हाथ लगी। आज में 67 फिल्मों को बाद यहां हूं। ये होती है सपनों की बात- जब उन्हें वास्तविकता में बदलने की बात आती है, तो मुश्किलें मायने नहीं रखती हैं। क्या मायने रखता है कि उस 9 साल के बिहारी लड़के का विश्वास।
बता दें कि मनोज बाजपेयी ने अपने करियार के दौरान'सत्या' के अलावा 'अलीगढ', 'राजनीति', 'सत्याग्रह' और'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
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