इस गांव में लैला मजनू की मजार पर लगता है हर बरस मेला, धागा बांध प्रेमी जोड़े मांगते हैं मन्नत

8/9/2018 4:55:26 PM

पाकिस्तान बॉर्डर के पास राजस्थान के गांव बिनजौर में है लैला मजनू की कथित मजार

जालंधर (वंदना खन्ना): इम्तयिाज की लिखी फिल्म ‘मॉर्डन’ लैला मजनू का ट्रेलर आज लॉन्च हो गया। ट्रेलर में कश्मीर की वादियां देख याद आया कि राजस्थान में कहीं तो इस प्रेमी जोड़े की मजार है। मजार ही नहीं इसकेरख रखाव के लिए लैला मजनू कमेटी भी बनी हुई है। कमेटी का नाम भी यही है ‘लैला मजनू कमेटी। पाकिस्तान बॉर्डर से कुछ ही किलोमीटर दूर गाव बिनजौर में इस मजार पर देशभर से लोग हर बरस 14 जून को लगने वाले मेेले में आते हैं।

जाहिर है इन लोगों में बड़ी गिनती नए शादीशुदा जोड़ों और प्रेमियों की होती है। मेले में लंगर का भी इंतजाम रहता है। प्रेमी जोड़े मजार के रोशनदानों से धागे बांध मन्नत भी मांगते हैं? क्या सच में लैला मजनू की है? ये जैसे लैला मजनू की मौत कैसे और कहां हुई, इसे लेकर अलग-अलग कहानियां है। वैसे ही यह भी सवाल उठते रहते हैं कि क्या यह सच में उन्हीं की मजार है। सवालों के जवाब में कुछ लोग कहते हैं कि मजार से अवशेष निकालकर उनका डीएनए टेस्ट करवाना चाहिए क्योंकि उन पर लिखे ऐतिहासिक लिटरेचर के मुताबिक दोनों अरब से थे। अगर अवशेषों का डीएनए मिडिल ईस्टर्न निकलता है तो एकबारगी माना जा सकता है, लेकिन अगर साउथ एशियन हुआ तो बरसों से यहां मेला लगा रहे गांव के लोगों के विश्वास को धक्का तो पहुंचेगा ही।

वो कहते हैं टीचर स्टूडेंट की है मजार
गांव इस बारे में कुछ भी मानता हो, प्रशासन भी। लेकिन मजार के शुरुआती केयरटेकर्स में से एक रानी ने मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि मजार लैला मजनू की नहीं बल्कि एक टीचर और स्टूडेंट की है।

 

 

लैला तो लैला ही थी, पर मजनू थे कैस इब्न
कहा जाता है कि सातवीं सदी में एक कैस इब्न अलमुल्लवा को लैला अल आमिरिया नाम की लड़की से मोहब्बत हो गई थी। वो लैला की मोहब्बत में पागलों वाली हरकतें करने लगे। उन्हें तब मजनू कहा जाने लगा। मजनू अरबी भाषा का शब्द है,जिसका अर्थ है पागल। ट्रेलर की शुरुआत भी इसी डायलॉग से होती है कि प्रेम वही होता है, जिसमें पागलपन हो।

Neha