ऐसे मिला था लता को पहला ब्रेक, पिता के डर से कभी नहीं करती थीं मेकअप

9/28/2019 3:24:20 PM

बॉलीवुड तड़का टीम. मधुर आवाज़ की क्वीन लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)का 28 सितंबर को 91वां बर्थ-डे है।  'नाम या चेहरा बदल सकता है'... यह सान्ग उनके कई गानों में से एक है। अगर आप को याद हो तो 'मेरी आवाज ही मेरी पहचान है'। 1977 में गुलजार लिखित इस सॉन्ग में लता मंगेशकर के लिए हर शब्द सही है और लगता है कि मेलोडी क्वीन लता मंगेशकर के लिए स्पेशल प्यार भरा पत्र लिखा गया है। लता मंगेशकर ने आज तक अपने हजारों गानों को 70 सालों तक परदे के पीछे गाया है। वहीं इस स्पेशल दिन पर उनकी फैमिली द्वारा खास पार्टी की तैयारी की गई है। हम आप के लिए लेकर आए हैं इस खास मौके पर लता दीदी की लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें... 


भारत रत्न विजेता की मंगेशकर की संगीत यात्रा बहुत निराली है। 1929 में महान थिएटर आर्टिस्ट पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी लता मंगेशकर में संगीत, डांस और एक्टिंग खून में था। लेकिन बचपन में लता को गरीबी का सामना करना पड़ा, लता ने एक इंटरव्यू में बताया कि उसके  फिल्म म्यूजिक को घर में ज्यादा प्रशंसा नहीं मिली और मेरे पिता जी बहुत रूढिवादी सोच के थे, वो हमारी ड्रेसिंग सेंस को लेकर बहुत स्टरिक्ट थे, हम कभी पाउडर या मेकअप नहीं लगा सकते थे। मेरे बावा हमारी देर रात सड़कों में घूमना और काम को लेकर भी रात को प्ले करना पसंद नहीं करते थे।  


1942 में अपने पिता की मृत्यु के बाद लता मंगेशकर और भाई बहन आशा भोसले को कई मजबूरियों का सामना करना पड़ा। सिर्फ 13 साल की उम्र में उनकी यात्रा ने उनको बदल कर रख दिया, बचपन में ही उनका बचपन उनसे छिन गया। लता मंगेशकरअपने परिवार का गुजारा खुद ही करती थी। लता ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत तब की, जब यह बहुत आम था कि एक्टर अपने गाने खुद गाते थे। इसलिए लता को हिंदी सिनेमा की शुरुआत में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

कई बार लता मंगेशकर बारीक आवाज के लिए उनकी हंसी उड़ाई गई। यह केएल सहिगल, शमशेद बेगम और नूर जहां का सुनहरा दौर था, लेकिन मास्टर गुलाम हैदर ने लता के टेलेंट को पहचाना और फिर महल में 'आएगा आने वाला' गाना गाने का मौक दिया। गाना मधुवाला और अशोक कुमार की मिस्ट्री गर्ल के ऊपर शूट किया गया और यह गाना रिलीज होते ही हिट हो गया और लता मंगेशकर को एक नई पहचान मिल गई। 


कुछ दशकों पहले लता मंगेशकर जो बहुत पतली आवाज होने के कारण रिजेक्ट कर दी गई थी उनकी वही आवाज अब बहुत प्रसिद्ध हो गई। लता ने कई लोगों और अपनी बहन आशा को भी बहुत प्रेरित किया। आशा भोसले जो अपनी बड़ी बहन की छाया में रहने की आदी थी, उसने एक बार कहा कि  "मैं कभी नहीं चाहती कि लोग कहे कि आशा लता की तरह गाती है। आशा और लता मंगेशकर दोनों अलग हैं और मैं इसी में रहना पसंद करती हूं"। 

साई परांजीपे साज की इन बहनों को परेशान करने की काफी अफवाह उड़ी। इसके बाद भी लता मंगेशकर ने काफी लंबे समय तक इसे नज़रअंदाज किया। लता मंगेश्कर और आशा भोसले दोनों अलग-अलग स्कूलों में श्रोताओं के लिए गायन करती थी। भोसले को अक्सर उनकी पहचान के लिए हिंदी का शब्द जिद्दी का इस्तेमाल किया गया। भोसले सेलिब्रेटियों और डिस्को नंबर के लिए पोस्टर गर्ल बन गई। उन्होंने 'दम मारो दम' और 'सुंदरी हेलन के लिए कई आईट्मस नंबर भी गाए। यह ऐसे गाने थे जो अपने सेक्सी कंटेन्ट और अनैतिकता के लिए लता मंगेशकर के करीब नहीं हो सकते।

Smita Sharma