Exclusive Interview: ''हंसाते-हंसाते इमोशनल कर सकती है, यही ''थैंक गॉड'' की बेस्ट बात है''

10/26/2022 3:04:11 PM

नई दिल्ली। अभिनेता अजय देवगन, सिद्धार्थ मल्होत्रा व रकुल प्रीत स्टारर फिल्म 'थैंक गॉड' 25 अक्टूबर को रिलीज हो गई है। इस कॉमेडी फिल्म में जबरदस्त ट्विस्ट एंड टर्न हैं। दीवाली के ठीक एक दिन बाद रिलीज हुई इस फिल्म ने पहले दिन अच्छा परफॉर्म किया। इंद्रा कुमार के निर्देशन में बनी फिल्म की कहानी आकाश कौशिक और मधुर शर्मा ने लिखी है। इसमें अभिनेत्री नोरा फतेही भी आइटम सॉन्ग पर परफॉर्म करते नजर आएंगी। फिल्म का निर्माण टी-सीरीज फिल्म्स और मारुति इंटरनेशनल प्रोडक्शन के बैनर तले किया गया है। फिल्म प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे सिद्धार्थ मल्होत्रा, रकुल प्रीत और डायरैक्टर इंद्रा कुमार ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं इनसे बातचीत के मुख्य अंश:

Sidharth Malhotra
 

Q : ज्यादातर लोगों ने आपको एक्शन या सीरियस ड्रामा रोल्स में देखा है। किसने इंस्पायर किया कि आपको इस बार बिल्कुल अलग जॉनर ट्राई करने चाहिए ?

A : -मैं हमेशा कहानिया चुनता हूं, कोशिश वही रही है कि अच्छी कहानी हो आपको एक एक्सपीरिएंस मिले बड़े पर्दे पर। और इस बार इत्तेफाक की बात है कि इंदू जी और मैं कब से बातें कर रहे थे, अलग-अलग कहानियों पर डिस्कशन हुआ। पर जब ये कहानी सुनी एक दम स्टार्ट टू फिनिश, जो मुझे एक्सपीरियंस मिला मैं काफी हंसा, काफी एंटरटेनिंग  चीजें हैं फिल्म में जो लोग ट्रेलर में भी देख रहे हैं। फिर एक इमोशनल प्वाइंट पर खत्म होती है, जो अभी लोग देखेंगे। उसके बाद यह सोचने पर मजबूर करती है कि हां यार मैं भी ऐसा करता हूं।    
 

Q : एक कलाकार होने के नाते एक करैक्टर से पूरे तरीके से खत्म कर वापस से दूसरे में अपने आप को ढालना ?

A : बिल्कुल, हर फिल्म में कोशिश रही है कि लुक अलग हो, पर्सनैलिटी अलग दिखे। शेरशाह से तो किरदार बहुत अलग है, लेकिन उसमें टेक्निकल, एक्शन और किरदार की मेहनत थी। यहां भी हमने काफी प्रेप किया। मैं कहूंगा कॉमेडी करना भी उतना ही मुश्किल है बड़े पर्दे पर। हम, लेखक और इंद्र जी मिलकर विचार करते थे सीन पर कि कैसा टोन होना चाहिए, कैसा सुर होना चाहिए। मेरे लिए आयान कपूर जो किरदार प्ले कर रहा हूं, फनी इसलिए है क्योंकि आपको इसकी फ्रस्ट्रेशन पर हंसी आती है। गुस्से में उटपटांग बोलता है, या खुद पर कंट्रोल नहीं रहता।
 

Q : कर्मा पर विश्वास करते हैं या आपको लगता है कि सिर्फ फिल्म में ऐसा होता है?
-हम लोग कितनी चीजें करते हैं, ट्रेनिंग लेते हैं या एक्टर भी क्यों प्रेप करते हैं, क्योंकि आपको लगता है कि वो कल आपको फायदा देगा। और उससे आपका काम बेहतर होगा।

 

Rakulpreet Singh

Q : आप दिल्ली की रहने वाली हो। आपने हिंदी, तमिल और तेलुगू मूवीज भी की हैं। आपके टैलेंट का क्या सीक्रेट है?
A : 
 -सीक्रेट कुछ नहीं है। भगवान का शुक्र अदा करती हूं कि सभी इंडस्ट्रीज में काम करने का मौका मिला। मैं सोचती हूं कि ये डेस्टिनी थी, ऐसा कुछ प्लान नहीं था। तेलुगु से शुरू किया। फिर तमिल और हिन्दी। मुझे लगता है कि लाइफ में जब जो होना होता है वो उसी तरह होता है।
 

Q : इस फिल्म में आपका कौन सा नया अवतार लोगों को देखने को मिलेगा?
A : 
-मैं पुलिस अधिकारी का किरदार निभा रही हूं। यह फिल्म कॉप यूनिवर्स नहीं है, तो उस पर इतना भी एक्सपलोर नहीं किया,पर उसके शेड्स हैं। फिल्म देखेंगे तो पता चलेगा कि पुलिस अधिकारी सभी से भावनात्मक तरीके से पेश आती है। वह फैमिली में एक स्टैबलाइजर है, जितना गुस्सा आता है, उनके 7 सेंस उन्हें बैलेंस करने की कोशिश करती हैं।
 

Q : लोगों को यह मूवी देखने क्यों जाना चाहिए?
A :
 -क्योंकि यह स्क्रिप्ट आपको हंसाते-हंसाते इमोशनल कर सकती है और यही थैंक गॉड की बेस्ट बात है।
 

Indra Kumar

Q :  आपने कई कॉमेडी मूवीज डायरैक्ट की हैं। आपको क्या लगता है कि इसके अंदर अच्छा है और क्या आपको लगता है कि उसमें बदलाव होना चाहिए?
A : -बदलाव इतना कोई खास नहीं हुआ है, फिर भी हुआ है। जैसे पहले हम जब कॉमेडी करते थे, तो सोचते थे कि फ्रंट बैंचर, ऑटोवाला या निम्र तबके वाले लोगों को दिमाग में रख कॉमेडी सोचते थे। अब दर्शक पढ़े-लिखे हो गए हैं, तो आप जल्दी बेवकूफ नहीं बना सकते। असल में अभी ज्यादा मेहनत लगती है हंसाने में, क्योंकि अब सब इंटरनेट पर मौजूद है और लोग तुलना करते हैं। अब समार्ट लोग हैं, उसके बावजूद भी हंसते हैं तो थैंक गॉड।
 

Q : फिल्म में एक घटना होती है। फिर उससे कॉमेडी निकल कर आती है। बहुत ही अलग कॉन्सेप्ट और विचार है। आपको कहां से प्रेरणा मिली कि ऐसा कुछ होना चाहिए?
A : -हमारी जो नियत रही फिल्म बनाने की, सामान्य बातें हो जो लोगों को डायलॉग में समझ आए। जो कर्म की धारणा देश ने दुनिया को दी है कि जैसी करनी वैसी भरनी, ये बचपन से मुझे भी सिखाया गया है कि जिस तरह की मेहनत करोगे वैसा फल मिलेगा। जब आप थिएटर से हंसते-हंसते निकलेंगे, वैसे हम उम्मीद करते हैं कि आप खुद सोचेंगे कि यार ये डायलॉग याद है, मैं भी ऐसा करता हूं, पेरेंट्स के साथ ऐसा हूं, काम पर ऐसा करता हूं, तो वो लोगों को एक नया दृष्टिकोण मिलेगा।


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News Editor

Deepender Thakur


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