परदेस के 25 वर्ष पूरे: सुभाष घई ने बताया कैसे चुने थे फिल्म के किरदार
8/8/2022 5:20:42 PM
मुंबई. बॉक्स ऑफिस पर कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जिनका करिश्मा साल दर साल बीत जाने के बाद भी ज्यों का त्यों बना रहता है। ऐसी ही बॉक्स ऑफिस पर धमाल करने वाली फिल्म रही है परदेस, जिसे आज 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। सुभाष घई के निर्देशन में बनी फिल्म परदेस की टीम आज सिल्वर जुबली मना रही है, जिसके चर्चे देश के अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, कू ऐप पर तेजी से शेयर हो रहे हैं।
इसके लिए फिल्म के निर्देशक सुभाष घई ने अपने कू हैंडल के माध्यम से एक बहुत ही खूबसूरत इंटरव्यू साझा किया है, जिसमें उन्हें अपने किरदारों को चुने जाने का सारा निचोड़ पेश कर दिया है। वे अपनी पोस्ट के माध्यम से कहते हैं: 8 अगस्त 1997 को रिलीज़ हुई मेरी फिल्म #PARDES में मेरे सितारों को कास्ट करने के अपने वास्तविक अनुभव को आपके साथ साझा कर रहा हूँ। फिल्म की सिल्वर जुबली का जश्न मना रहे हैं, क्योंकि यह अपने 25वें वर्ष में अभी भी युवाओं और परिवारों के लिए सबसे पसंदीदा फिल्म में से एक है।
Koo AppSharing my real experience with you in casting my stars in my film #PARDES released on 8 Aug 1997 Celebrating tom its SILVER JUBILEE YEAR AS it’s still one of the most favourite film for youngsters n families on its 25 th year 🎥 Please WATCH https://youtu.be/U6-3prezhkE @muktaartsltd @muktaa2cinemas @imsrk_______ @mahimachaudhry1 @beingsalmankhan @whistling_woods @meghnaghaipuri_official - Subhash Ghai (@subhashghai) 7 Aug 2022
परदेस, राम लखन, हीरो, कर्ज़, ताल, अपना सपना मनी मनी, कर्मा और ओम शांति ओम जैसी खूबसूरत फिल्म्स देने वाले सुभाष घई ने इंटरव्यू के दौरान फिल्म में किरदारों को कास्ट करने के अपने वास्तविक अनुभव साझा किए।
सुभाष घई ने कहा- एक राइटर और डायरेक्टर होने के नाते मेरा सबसे पहला फोकस कैरेक्टराइज़ेशन पर होता है। ये कैरेक्टर्स ही कहानी को खूबसूरती से बयान करते हैं। अच्छी कहानी लिखना काफी मुश्किल है। उससे भी मुश्किल है स्क्रीनप्ले लिखना। और उससे भी ज्यादा मुश्किल है किरदारों को कलर देना। मुझे खुशी है कि आज भी फिल्म को उसी शिद्दत के साथ पसंद किया जाता है।
कभी भी स्टार को देखकर किरदार नहीं लिखा
कहानी लिखने का एक उसूल होता है कि पहले किरदार और उसकी कहानी लिखी जाए, इसके बाद स्टार्स को उसमें फिट करके देखा जाए। मैंने कभी भी स्टार को देखकर किरदार नहीं लिखा। पहले मैं खुद से जज करता हूँ कि किसी किरदार विशेष में स्टार फिट होता है या न्यू कमर, उसके बाद ही उसे फाइनल करता हूँ।
शाहरुख खान ने बहुत मेहनत की
इसके मुख्य किरदार अर्जुन सागर की बात करें तो जो किरदार शाहरुख खान ने निभाया है। इसकी कास्ट के लिए जब मैंने शाहरुख को बुलाया तो मैंने उनसे एक ही बात कही कि तुम्हें इस फिल्म में शाहरुख बनकर नहीं उतरना है। तुम्हारी दिलवाले दुल्हनिया बहुत हिट हुई है और तुम्हारा रोमांटिक किरदार सभी को बहुत पसंद आया है। जब भी तुम स्क्रीन पर किसी लड़की को पहली बार देखते हो तो वास्तव में तुम्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे तुम्हें उससे प्यार हो गया है। लेकिन मेरी कहानी कुछ ऐसी है, जिसमें तुम्हें आखिरी तक प्यार वाले इस अहसास को बचाकर रखना है, नहीं तो मेरी कहानी बर्बाद हो जाएगी।
ऐसे में वास्तव में शाहरुख को शाहरुख खान से खुद को बाहर लाने में बहुत मेहनत करना पड़ी और खास बात है कि उन्होंने की भी। इस किरदार की एक्सेसरीज़ कुछ ऐसी थी, जो उसे मॉडर्न होने के बावजूद भी मैच्योर दिखाती थी। ऐसे में उसे जीन्स के बजाए ट्राउज़र्स पहनने की सलाह मैंने दी, जो कहीं न कहीं फिल्म में जादू कर गई। मुझे लगता है, इस फिल्म में शाहरुख की परफॉर्मेंस उनकी बाकी सभी फिल्मों से सबसे अलग रही।
गंगा के लिए पहले माधुरी दीक्षित को किया था सेलेक्ट
कहानी का अन्य मुख्य किरदार, गंगा, जो महिमा चौधरी ने निभाया है, इसके लिए पहले मेरी योजना माधुरी को लेने की थी। माधुरी को जब यह स्क्रिप्ट सुनाई, तो उन्हें यह बहुत पसंद आई। टीम की भी यही इच्छा थी कि इस किरदार के लिए माधुरी को साइन किया जाए। लेकिन माधुरी इस फिल्म के समय तक बहुत बड़ी स्टार बन चुकी थी। और जो किरदार कुसुम का था, वह एक छोटे-से गाँव की लड़की थी, जो अपने सिर के ऊपर से हवाई जहाज को जाता देख सपने बुनने लगती है कि उसे भी हवाई जहाज में बैठकर अमेरिका जाना है और वहीं उसकी शादी भी होना चाहिए। मुझे इस किरदार में मासूमियत चाहिए थी, जो मैं स्टार्स के ज़रिए नहीं डाल सकता था। इसलिए महिमा चौधरी को न्यू कमर के रूप में मैंने साइन किया, ताकि इस किरदार में नयापन उभरकर सामने आए।
तीन बातें देखकर महिमा चौधरी को साइन किया
जब मैंने महिमा चौधरी का इंटरव्यू लिया, तब वे किसी विशेष बात पर जोरों से हँसती थीं। इसके अलावा जो प्यार मुझे इस किरदार में चाहिए था, वह उनकी आँखों में छलकता था, क्योंकि उनकी आँखें बहुत ही खूबसूरत हैं और इसके अलावा उनकी हाइट छोटी थी। ये तीनों ही बातें महिमा चौधरी में कॉमन थीं, जो मुझे कहानी की इस किरदार के लिए चाहिए थीं। वह लड़की बेहद बिंदास बात करने वाली होना चाहिए, खुलकर हँसना चाहिए और आँखों से बात करने वाली होना चाहिए, इन सभी बिंदुओं पर महिमा चौधरी ने बहुत ही बारीकी से काम किया, और खास बात यह है कि इसके लिए उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।