Exclusive Interview: इंसान का नेचुरल इमोशन है 'बदला'

3/6/2019 9:20:56 AM

नई दिल्ली। फिल्म ‘पिंक’ से लोगों का दिल जीतने के बाद अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू की जोड़ी एक बार फिर धमाल मचाने के लिए तैयार है। सच-झूठ के फर्क और नाजायज रिश्तों वाले सस्पेंस से भरी है सुजॉय घोष की क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘बदला’ इस शुक्रवार 8 मार्च को रिलीज हो रही है। फिल्म की कहानी तापसी के किरदार ‘नैना सेट्टी’ के आसपास घूमती है जिस पर खून का इल्जाम है। अमिताभ उनके वकील के रोल में नजर आएंगे।

गौरी खान, सुनीर खेतरपाल और अक्षय पुरी द्वारा निर्मित ये फिल्म साल 2016 में आई स्पैनिश फिल्म ‘द इनविजिबल गेस्ट’का हिंदी रीमेक है। फिल्म प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंची तापसी ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

पहली बार कर रही हूं इस जॉनर की फिल्म
बहुत साल हो गए हैं कि हमारी इंडस्ट्री में कोई मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर नहीं आई है। ये बहुत ही पुराना जॉनर है जो कुछ समय से कहीं गुम गया है। काफी समय बाद ऐसी फिल्म आ रही है।

पहली बार इस जॉनर की फिल्म कर रही हूं जिसे देखने के बाद ऑडियंस को मुझ पर गर्व होगा। मैं हमेशा से कहती आई हूं और आज भी यही कहूंगी कि ऑडियंस मुझ पर विश्वास करे कि अगर मैंने कुछ किया है तो सोच समझकर ही किया होगा। 

30 सेकेंड के लिए भी फिल्म छोडना पड़ेगा महंगा
ऑडियंस इस फिल्म में कुछ ऐसा देखेगी जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखा होगा। सभी को मेरी सलाह है कि जब तक फिल्म खत्म ना हो जाए तब तक अपनी सीट से ना उठें।

अगर आप फिल्म के बीच में 30 सेकेंड के लिए भी उठकर गए तो वो आपके लिए बहुत भारी पडऩे वाला है क्योंकि आप उस समय में फिल्म का बहुत कुछ मिस कर सकते हैं। ये कह सकती हूं कि इसे देखने के बाद आपका फिल्मों को देखने का नजरिया बदल जाएगा।

अमिताभ को भगवान की तरह ट्रीट करते हैं लोग
अमिताभ बच्चन को उनके आस-पास के लोग अकसर भगवान की तरह ट्रीट करते हैं जिसके कारण कई बार वो खुद बहुत असहज महसूस करते हैं। मैं बाकी को-स्टार्स की तरह अमिताभ बच्चन के साथ हमेशा सामान्य तरीके से पेश आती हूं। यही वजह है कि हम दोनों ने जितना भी वक्त साथ में बिताया है वो काफी रिलैक्सिंग रहा है। उनके साथ इस तरह बॉन्ड का शेयर करना अपने-आप में बहुत खास है।

बदला भी जरूरी है
कोई भी इंसान जो बदले की भावना नहीं रखता वो इंसान नहीं बल्कि भगवान है। बदला लेना इंसान का एक बहुत ही नेचुरल इमोशन है। ये अलग बात है कि उम्र के साथ हमारा बदला लेने का तरीका बदल जाता है। कई बार कुछ चीजें हमें इस तरह से लग जाती हैं जिसे हम भूल नहीं पाते, जब लगता है कि अपने मन की शांति के लिए एक बार बदला लेकर उसे खत्म करते हैं।

...जब कॉलेज में प्रोफेसर से लिया था बदला
कॉलेज के दिनों में मुझे को-करिकुलर एक्टीविटीज में ज्यादा इंटरेस्ट था जिसकी वजह से मैं क्लास ज्यादा अटैंड नहीं करती थी। इसके कारण मेरे एक प्रोफेसर ने मुझे कहा था कि देखते हैं प्रोजेक्ट के अंदर ये कैसे पास होती है। मैंने उस प्रोजेक्ट के लिए एप्पल की एक ऐप डिजाइन की थी।

हमारे प्रोफेसर उस प्रोजेक्ट के बारे में ज्यादा कुछ पूछ नहीं पाए क्योंकि वो नई चीज थी और शायद उन्हें भी इसके बारे में ज्यादा पता नहीं था। मेरा बदला लेने का यही तरीका होता है कि तुम कुछ ऐसा करो कि सामने वाले को जवाब देने लायक ही मत छोड़ो और शायद ये बदला लेने का सबसे अच्छा तरीका होता है।

Chandan