Exclusive interview: 1998 के पोखरण परीक्षण की कहानी है 'परमाणु'

5/24/2018 10:25:06 AM

नई दिल्ली/टीम डिजिटल (एक्सक्लूसिव) : बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम की अपकमिंग फिल्म ‘परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण’ कल यानि 25 मई को रिलीज हो रही हैं। जॉन अब्राहम इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित हैं। यह फिल्म 1998 में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण की कहानी पर आधारित है। फिल्म के लीड रोल में जॉन अब्राहम और उनके ऑपोजिट एक्ट्रेस डायना पेंटी हैं। फिल्म का निर्देशन अभिषेक शर्मा ने किया है। हाल ही में अपनी फिल्म प्रमोशन के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे जॉन अब्राहम और डायना पेंटी ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:

 

 
लोगों को इसकी जानकारी नहीं: जॉन अब्राहम

मुझे लगता है कि 1998 के पोखरण परीक्षण ने भारत को रीडिफाइन किया था। पूरी दुनिया में इस मोमेंट के बाद भारत का नाम एक बड़ी ताकत के रूप में उभरा। मेरा मानना है कि इस कहानी पर फिल्म बननी इसलिए भी जरूरी थी कि आधे से ज्यादा भारत आज भी परमाणु का मतलब नहीं जानता। यह भी नहीं जानता कि पोखरण में क्या हुआ था। सिर्फ युवा ही नहीं, 30 से 35 साल के लोगों को भी इसकी जानकारी नहीं है। 

 

 

बेहद टैलेंटेड हैं नए एक्टर्स 

एक प्रोड्यूसर होने के नाते मुझे बड़ी खुशी होती है कि फिल्म इंडस्ट्री में आ रहे नए कलाकार बेहद काबिल हैं। राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना, वरुण धवन और टाइगर श्रॉफ सहित बाकी और भी कई लोगों के मैं बेहद करीब हूं, यह सभी मेरे दोस्त हैं। मैं जब भी अपने प्रोडक्शन हाउस में किसी कहानी को चुनता हूं तो इन लोगों को भी ध्यान में रखता हूं कि उनको लेकर फिल्म बना सकूं। अब ऐसा हो गया है कि ज्यादातर अभिनेता खुद को मजबूत बनाने के लिए निर्माता बन गए हैं, लेकिन मेरा मानना है कि मुझे अपने प्रॉडक्शन हाउस के जरिए खुद के साथ-साथ इंडस्ट्री के दूसरे कलाकारों को भी मजबूत बनाना है।

 

 

मैं अपने पिता का फैन हूं

मैं अपने पापा का फैन हूं वे बहुत ही शरीफ इंसान है। उन्होंने न कभी किसी को रिश्वत दी और न ही ली है। वे हमेशा मुझसे कहते आए हैं कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च जाने से आप अच्छे इंसान नहीं बनते, सिर्फ अच्छे काम करने से अच्छे इंसान बनते हैं। मेरे पापा के दिए हुए जो संस्कार हैं वो मेरे लिए सबसे पहले हैं। मुझे गर्व महसूस होता है।

मेरा मकसद लोगों का मनोरंजन करना

मैं यहां मनोरंजन करने के लिए आया हूं। जब मैंने ‘मद्रास कैफे’ बनाई तो लोगों ने कहा कि मैं कांग्रेस की फिल्म बना रहा हूं। अब जब पोखरण रिलीज होने जा रही है तो कुछ लोग कहने लगें कि मैंने भाजपा की फिल्म बनाई है, लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मेरा इन चीजों से कोई लेना-देना नहीं है। मेरा मकसद लोगों का मनोरंजन करना है। 1998 में इंडियन आर्मी ने पोखरण में परमाणु बम का परीक्षण किया था। इसी घटना को आधार बना कर फिल्म बनाई गई है। फिल्म में इंडियन आर्मी और वैज्ञानिकों द्वारा किए गए काम को सराहा और सेलिब्रेट किया गया है। 

 

 

सबको पता होना चाहिए अपना इतिहास : डायना पेंटी

लोगों को लगता था कि मैं ‘कॉकटेल’ के बाद वैसे ही स्वीट और सिंपल लड़की के किरदार निभाउंगी। लेकिन मैं उनकी बात को गलत साबित करना चाहती थी। मैंने उनकी चुनौती स्वीकार की और ‘परमाणु’ में काम किया। मैं ‘परमाणु’ के बारे में कुछ खास नहीं जानती थी, लेकिन फिल्म करने से पहले मैंने पूरी तरह से जाना कि कब क्या हुआ। मेरा मानना है कि लोगों को जानना चाहिए आखिर हुआ क्या था और हमारा इतिहास क्या है। इस फिल्म में पहली बार मैं किसी आर्मी ऑफिसर के किरदार में दिखाई दूंगी।

 


 मां मेरी ताकत है

मेरी मां मेरी आर्दश हैं। मैं उनकी फैन हूं। वह बिल्कुल जमीनी हैं और मैं भी उन्हीं पर गई हूं। वो हमेशा मुझे बढ़ावा देती हैं कि मैं हर काम कर सकती हूं और बहुत बेहतर कर सकती हूं। मैं अपनी मां जैसी बनना चाहती हूं। मां मेरी ताकत है।
 

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