Exclusive Interview: बिजली कटौती की गंभीर समस्या को उजागर करती है 'बत्ती गुल मीटर चालू'

9/20/2018 12:06:06 PM

नई दिल्ली/टीम डिजिटल(एक्सक्लूसिव): भारत देश में लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनमें से एक बड़ी समस्या है बिजली कटौती की। बॉलीवुड में कई एेसी फिल्में बनी है जोकि भारत की समस्याओं को दर्शाती है। हाल ही में इस लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है। वह है ‘बत्ती गुल मीटर चालू’। श्री नारायण सिंह द्वारा डायरेक्टेड यह फिल्म बिजली की समस्या और फ्रॉड बिल जैसे गंभीर मुद्दे पर बनी है। इसमें शाहिद कपूर, श्रद्धा कपूर और यामी गौतम लीड रोल में हैं। हाल ही में फिल्म प्रमोशन के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे शाहिद और श्रद्धा ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जग बाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की।

 

 

ऐसी फिल्में करना गर्व की बात: शाहिद कपूर

यह फिल्म देश की एक ऐसी समस्या पर बात करती है, जिससे लोग जूझ रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनना मेरे लिए बहुत गर्व की बात होती है। ऐसी फिल्में मनोरंजन के साथ-साथ देश की गंभीर समस्या पर बात करती है। अगर हम इन समस्यायों को बताने के लिए अपनी स्टारडम का उपयोग नहीं करेंगे तो उसे खो देंगे, आज हमारे पास मौका है, जब हम अपनी शोहरत के सहारे मानवता के लिए फिल्मों के जरिए कुछ कर सकते हैं।

 

रोशनी था फिल्म का पहला नाम

फिल्म में मेरा किरदार एक वकील का है जो अपनी ही मस्ती में रहता है और बहुत तेज बोलता है। पहले इस फिल्म का नाम रोशनी रखा जा रहा था लेकिन बाद में सभी को बत्ती गुल मीटर चालू’ नाम सही लगा। इस फिल्म में सामाजिक संदेश के साथ मनोरंजन, रिश्ते और इमोशंस भी देखने को मिलेंगे।

 

 

मैंने भी किया है इस तरह की समस्या का सामना

शायद ही ऐसा कोई होगा जिसने बिजली के बिल की समस्या का सामना न किया हो। मेरे साथ भी हुआ है। जब मैं छोटा था तो घर में बिजली चली जाती थी और कई बार ऐसा भी हुआ है कि हमारे घर का बिल उम्मीद से बहुत ज्यादा आया। इस फिल्म से ये संदेश भी मिलेगा कि अगर बिजली का बिल गलती से बहुत ज्यादा आ जाए तो न्याय कैसे मिलेगा।


एक्टर के रुझान से नहीं पड़ता कोई फर्क

जब शाहिद से पूछा गया कि उनका रुझान किस तरह की फिल्मों की तरफ है, तो इस पर शाहिद ने कहा- देखिए, मैं आपको बताना चाहता हूं कि किसी भी एक्टर का रुझान किस तरह की फिल्मों में है, इस बात से कतई कोई फर्क नहीं पड़ता, फर्क इस बात से पड़ता है कि डायरेक्टर किस तरह की फिल्में बना रहे हैं। एक्टर का काम तो फिल्म के किरदार में पूरी तरह से घुल जाने का होता है। 

 


फिल्मों में वास्तविकता पसंद है

शाहिद ने बताया कि उन्हें वो फिल्में ज्यादा पसंद हैं जिनमें सच्चाई झलकती हो क्योंकि लोग उनसे खुद को कनेक्ट कर पाते हैं। तारे ज़मीन पर’, दंगल’ और हालिया रिलीज टॉयलेट एक प्रेम कथा’ मुझे बहुत पसंद आई। इसके अलावा मेरी उड़ता पंजाब’ और हैदर’ भी कुछ इसी तरह की फिल्में थी। ये तो अच्छी बात है कि डायरेक्टर्स इस तरह की फिल्में बना रहे हैं, जो लोगों को पसंद भी आ रही है।

 

मनोरंजन के द्वारा संदेश पहुंचाना बड़ी बात

मुझे लगता है कि अगर आप मनोरंजन के जरिए किसी फिल्म से लोगों तक कोई संदेश पहुंचाते हैं तो ये बड़ी बात है। अगर फिल्म देखने के बाद इस पर बात होगी और लोगों तक पहुंचेगी तो कुछ तो बदलाव जरूर आएगा। फिल्म देखकर बहुत से लोगों को लगेगा कि ऐसा मेरे साथ भी हुआ है, क्योंकि यह कई लोगों की सच्ची कहानियों को मिलाकर बनाई गई है।

 

 


हैदर एक अलग दुनिया थी: श्रद्धा कपूर

शाहिद के साथ ये मेरी दूसरी फिल्म है। हैदर’ एक दूसरी दुनिया थी और ये फिल्म एक अलग दुनिया है। जब आप दोबारा किसी के साथ कोई फिल्म करते हैं तो बहुत कंफर्टेबल हो जाते हैं और जब आप कंफर्ट जोन में होते हैं, तो काम करना काफी आसान हो जाता है। जबकि मैं तो शाहिद को हैदर’ के पहले से जानती हूं।  


प्यारी भाषा है कुमाउनी

श्रद्धा बताती हैं कि मुझे कुमाउनी भाषा में सबसे अच्छा लाटा शब्द लगा। लाटा का मतलब स्टुपिड होता है। मैंने शूटिंग के दौरान बहुत मजा किया। कुमाउनी भाषा के लगभग 60-65 नए शब्द हमने सुने। कुमाउनी बहुत ही प्यारी भाषा है।


नोटी बनने में आया मजा

इस फिल्म में मेरा किरदार एक फैशन डिजाइनर का है और उसका सरनेम नोटियाल है इसलिए उसको सब नोटी बुलाते हैं। नोटी को लगता है कि वह दुनिया की सबसे अच्छी फैशन डिजाइनर है और मनीष मल्होत्रा भी उसके आगे कुछ नहीं है। जबकि उसका फैशन इससे उल्टा है। उसके बोलने का तरीका भी काफी ठेठ है और वो मुंहफट भी है। लेकिन उसकी खास बात ये है कि उसे सही लोगों की पहचान अच्छे से है।
 

Konika