Love Story: 22 साल बड़े दिलीप कुमार के प्यार में गिरफ्त हो गई थीं सायरा बानो, आज ट्रेजिडी किंग से छूटा 55 साल का साथ

7/7/2021 9:27:54 AM

मुंबई: 'ट्रेजिडी किंग' दिलीप कुमार का यूं दुनिया से चले जाना जिसे सबसे ज्यादा तकलीफ दे रहा है वो हैं सायरा बानो। दिलीप कुमार जब से बीमार हुए हैं सायरा बानो उनके साथ हमेशा साए की तरह खड़ी रहीं। जिंदगी के हर मोड़ पर दोनों एक-दूसरे के साथ ऐसे खड़े दिखे जैसे पानी में मछली। सायरा बानो के शब्दों में दिलीप साहब उन्हें कायनात से तोहफे में मिले।लेकिन 7 जुलाई को दोनों का 55 साल का साथ छूट गया। आज हम आपको इस कपल  की प्रेम कहानी के बारे मं बताते हैं...

इंडस्ट्री में ऐसे कई कपल्स हैं जो रील लाइफ से रियल लाइफ में एक-दूजे के हुए हैं लेकिन सबसे खास लव स्टोरी दिलीप कुमार और सायरा बानो की है। दोनों ने हर सुख-दुःख में एक दूसरे के साथ दिया और यह ऐसी लव स्टोरी है, जिसमें कपल के बीच 22 साल का अंतर है, लेकिन आज भी इनका रिश्ता काफी मजबूत है। सायरा बानो ने 1966 में 22 साल की उम्र में दिलीप कुमार से शादी की थी। उस समय दिलीप कुमार 44 साल के थे। 

सायरा बानो 12 साल की उम्र से दिलीप साहब को दीवानों की तरह चाहती थीं। जब ये चाहत दिलीप कुमार के सामने आई तब उन्हें कुछ समझ नहीं आया। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय दिलीप कुमार  किसी और के प्यार की गिरफ्त में थे।

दो बार प्यार में नाकामयाब रहे दिलीप सायरा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे।दिलीप कुमार  उम्र के फर्क के चलते भी इस रिश्ते को आगे बढ़ाने से कतरा रहे थे लेकिन कहते हैं ना कि किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात आपको उनसे मिलाने के लिए तैयार रहती है।

ऐसा ही कुछ दिलीप कुमार के साथ हुआ। सायरा बानो की बेइंतेहा मोहब्बत आखिरकार रंग लाई और 1966 में  दिलीप कुमार और सायरा बानो ने अपने मोहब्बत के एलान का फैसला कर लिया था। दिलीप कुमार पर वैसे तो देश-विदेश की कई लड़कियां जान छिड़कती थीं, लेकिन उन्हें सायरा बानो पसंद आईं।

23 अगस्त 1966 को सायरा बानो के घर सालगिरह की एक पार्टी में दिलीप कुमार पहुंचे थे और इस दौरान सायरा साड़ी पहनकर तैयार हुई थीं। अगले दिन दिलीप कुमार ने पार्टी के खाने की तारीफ करते हुए सायरा बानो को फोन किया और फिर मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा और ये रिश्ता शादी में बदल गया। सायरा और दिलीप कुमार ने 11 अक्टूबर, 1966 को शादी रचा ली।

शादी के बाद सायरा बानो ने अपने फिल्मी करियर को जारी रखा और काफी सफलता प्राप्त की लेकिन 1976 तक उन्होंने ऑन-स्क्रीन किरदार निभाना बंद कर दिया और खुद एक पत्नी और होममेकर की भूमिका निभाने लगीं।

दिलीप कुमार ने 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से अपने करियर की शुरुआत की थी. हालांकि, इस फिल्म को तवज्जों नहीं मिली। दिलीप कुमार ने 1947 में आई फिल्म 'जुगनू' से उन्होंने पहली बार सफलता का स्वाद चखा। इस फिल्म के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। दिलीप कुमार ने देवदास, मुगल-ए-आजम जैसी फिल्मों में अपने शानदार अभिनय को पेश किया है। वह आखिरी बार 1998 में आई फिल्म 'किला' में नजर आए थे। दिलीप को 2015 में उन्हें पद्म विभूषण,1994 में दादासाहेब फाल्के अवार्ड से नवाजा जा चुका है। 

Content Writer

Smita Sharma