Exclusive Interview : ईमानदारी और पैसे की जरूरत के बीच फंसे बाप-बेटे की कहानी'बंबई मेरी जान'

9/15/2023 2:14:08 PM

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। अंडर वर्ल्ड की दुनिया को दिखाती अब तक कई फिल्में और वैब सीरीज रिलीज हो चुकी हैं, जिन्हें दर्शकों का खूब प्यार और सराहना मिली है। ऐसे में एक बार फिर प्राइम वीडियो एक धमाकेदार वैब सीरीज 'बंबई मेरी जान' लेकर आ रहा है, जिसमें 70 के दशक में मुंबई माफिया राज और अपराध का दौर दिखाया गया है। इस सीरीज का ग्लोबल प्रीमियर 14 सितम्बर को अमेजन प्राइम वीडियो पर होगा, जिसमें कुल 10 एपिसोड्स हैं। शुजात सौदागर द्वारा निर्देशित सीरीज में अविनाश तिवारी और के.के. मेनन के साथ कृतिका कामरा, निवेदिता भट्टाचार्य और अमायरा दस्तूर अहम किरदार निभा रहे हैं। इस खास मौके पर 'बंबई मेरी जान' की लीड स्टारकास्ट और डायरैक्टर ने  पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।

 

KK MENON 

Q. जब भी आप अपने किरदार चुनते हैं, तो आपके दिमाग में क्या होता है?
A. ऐसा कुछ नहीं है और कोई मापदंड नहीं है कि यह सब चीजें फिल्म में होंगी तो ही मैं करूंगा। आपको अपने आप ही किरदार से प्यार होने लगता है और अंदर से आवाज आती है कि यह रोल करना ही है। जब मैं सोच लेता हूं कि मुझे यह फिल्म करनी है तो फिर उस किरदार को अपने अंदर ढूंढ लेता हूं।

Q. किरदार में ढलने के लिए कितना समय लगता है?
A. सच कहूं तो लोग इस कला को बहुत ज्यादा सीरियस ले लेते हैं, तो उसका मजा खराब हो जाता है और खिड़की बंद हो जाती है। जरूरी है कि खिड़की को खुली रखें और वह बंद न हो। मैं पहले भी कह चुका हूं कि इस दुनिया में जितने भी इंसान हैं वह खुद में कम्प्लीट हैं, बस आपको सिर्फ उसे अपने अंदर  ढूंढऩा है।

 

Shujaat Saudagar

Q. इस फिल्म में कितना फिक्शन और कितने फैक्ट्स हैं?
A. यह कहानी पूरी तरह से फिक्शनल है और यह किसी भी बुक से इंस्पायर्ड नहीं है। 'बंबई मेरी जान' एस. हुसैन जैदी साहब की कहानी है, जिन्होंने कई क्लासिक किताबें लिखी हैं और यह भी उनकी ओरिजनल कहानी है, जो वह खुद हमारे पास लेकर आए। यह भी सच है कि उनकी किताबों में बहुत मैटेरियल है, लेकिन बहुत कुछ इस फिल्म में ऐसा है, जो किताबों में नहीं है। सीरीज में 60 और 70 के दौर को दिखाया गया है, जो पूरी तरह से फिक्शनल स्टोरी है। इसमें एक मां-बाप की कहानी है, जो अपने बच्चों को प्रोटैक्ट करना चाहते हैं, लेकिन जिस माहौल में वह रहते हैं, वहां अपराध खुद पनपता है। धीरे-धीरे एक वक्त ऐसा आ जाता है, जब उनकी पूरी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है।  

Q. इसका टाइटल काफी अलग है, इसे कैसे चुना गया?
A. यह बंबई की कहानी है, जिसमें बंबई के साथ प्यार को दिखाया गया है। साथ ही आजादी के बाद एक परिवार शहर के साथ-साथ कैसे आगे बढ़ रहा है, यह भी दिखाया है और जिस समय की बात की जा रही है उस समय इसको बंबई के नाम से बुलाया जाता था। इसलिए इस सीरीज का नाम 'बंबई मेरी जान' है।

 

Kritika Kamra

Q. जब आप के.के. और निवेदिता के साथ काम कर रहे होते हैं तो कैसी फीलिंग होती है?
A. जब इतने अच्छे कलाकारों को काम करते हुए देखते हैं तो सच में अच्छा लगता है, क्योंकि सैट पर उनको देखकर माहौल ही अलग बन जाता है। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है, जिससे सभी का काम निखर कर आता है।    

Q. किरदार के लिए रैफेरैंस लिए थे?
A. जब आपका किरदार बहुत अच्छे से लिखा गया होता है तो आपको बाहर से कुछ ज्यादा ढूंढऩे की जरूरत नहीं होती है। मुझे रैफेरैंस दिए गए थे, लेकिन मेरे पास प्रेप टाइम बहुत कम था, लेकिन हमारी टीम बहुत अच्छी थी।

 

Rensil D'Silva

Q. 70 के दशक के बंबई को दिखाना आपके लिए कितना मुश्किल था?
A. जिस बंबई की हम बात कर रहें हैं, असल में वह आपको कहीं नहीं दिखेगी। हमने इसके लिए कई लोकेशन देखी, लेकिन बाद में इसकी एक खुद की सिटी मड आइलैंड में तैयार की।  

के.के. और अविनाश को बाप-बेटे का किरदार देना किसकी सोच थी?
के.के. शुजात के पास किसी और किरदार के लिए आए थे, तो उन्होंने कहा कि के.के. को ही इस सीरीज में बाप  बनाया जाए। 

 

Nivedita Bhattacharya

Q. आपके किरदार से आपको क्या कुछ सीखने को मिला?
A. मेरा किरदार एक स्ट्रांग वूमैन का है, जो एक ऐसी मां है, जिसे अपने परिवार को बहुत सलीके से संभालना होता है। इस रोल के हर पहलू को पर्दे पर बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया है।  

Q. अभी ओ.टी.टी. पर जिस तरह का कंटैंट आ रहा है तो क्या आपको लगता है कि एक्टर्स को भी मौके मिल रहे हैं?
A. एक्टर्स को काफी कुछ एक्सप्लोर करने के लिए मिला है, जिससे कहानी में पूरी जगह मिलती है और दर्शक भी नब्ज पकडऩे में कामयाब होते हैं।

 

Avinash Tiwari

Q. क्या आपको लगता है कि आपके सारे प्रोजैक्ट्स ड्रीम प्रोजैक्ट्स होते हैं?
A. जी हां, बिल्कुल...और यह किरदार तो ऐसा है कि मेरे जितने भी एक्टर्स फ्रैंड हैं, वह सभी मुझसे ईष्या कर रहे हैं, क्योंकि अगर उनके पास यह मौका होता तो मुझे भी बहुत ईष्या होती। ऐसे में मैं यही कह सकता हूं कि आप हीरे होंगे तो तभी चमकोगे,जब रोशनी आप पर पड़ेगी और अब शायद रौशनी पडऩी शुरू हो गई है।  

Q. आपने अपने किरदार के लिए खुद को कैसे तैयार किया?
A. फिजिकली तो बहुत तैयारी करनी पड़ी थी, क्योंकि मैंने अपना वजन काफी बढ़ाया था। इसके अलावा और भी शरीर में काफी बदलाव किए थे।

 

Kasim 

Q. आज के समय में प्रोड्यूसर्स के रोल किस तरह से बदल रहे हैं?  
A. आजकल हर ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म पर वल्र्ड कंटैंट होता है तो हमें उस तरह का रियलिस्टिक और बेटर कंटैंट पेश करने की जरूरत है तभी दर्शकों का ध्यान हमारे कंटैंट पर जाएगा। हम परिस्थिति के हिसाब से सीख रहे हैं कि कैसे अलग तरीके से कहानी को परोसा जा सकता है। 

Content Editor

Jyotsna Rawat