B'day Spcl: छोटी-छोटी कहानियां लिख बुलंदियों पर पहुंचे गुरू दत्त, जानें उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

7/10/2019 2:31:56 AM

मुंबईः भारतीय सिनेमा जगत में गुरुदत्त को एक ऐसे कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने फिल्म निर्माण, कोरियोग्राफर, निर्देशन और एक्टिंग की प्रतिभा से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया। 09 जुलाई 1925 को कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में एक मध्यम वर्गीय बाह्मण परिवार में जन्में गुरुदत्त मूल नाम वसंत कुमार शिवशंकर राव पादुकोण का रूझान बचपन के दिनों से ही नृत्य और संगीत की तरफ था। उनके पिता शिवशंकर पादुकोण एक स्कूल में हेड मास्टर थे जबकि उनकी मां भी स्कूल में ही शिक्षिका थीं। 

गुरुदत्त ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता शहर में रहकर पूरी की। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उन्हें मैट्रिक के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। संगीत के प्रति अपने शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने चाचा की मदद से पांच वर्ष के लिए छत्रवृत्ति हासिल की और अल्मोड़ा स्थित उदय शंकर इंडिया कल्चर सेंटर में दाखिला ले लिया। जहां वह उस्ताद उदय शंकर से नृत्य सीखा करते थे। इस बीच गुरुदत्त ने टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में भी एक मिल में काम भी किया। 

उदय शंकर से पांच वर्ष तक नृत्य सीखने के बाद गुरुदत्त पुणे के प्रभात स्टूडियो में तीन वर्ष के अनुबंध पर बतौर नृत्य निर्देशक शामिल कर लिए गए। वर्ष 1946 में गुरुदत्त ने प्रभात स्टूडियो की निर्मित फिल्म ‘हम एक हैं' से बतौर कोरियोग्राफर अपने सिने करियर की शुरुआत की। इस बीच, गुरुदत्त को प्रभात स्टूडियो की निर्मित कुछ फिल्मों में अभिनय करने का मौका भी मिला। प्रभात स्टूडियो के साथ किये गए अनुबंध की समाप्ति के बाद गुरुदत्त अपने घर माटूंगा लौट आए। इस दौरान वह छोटी-छोटी कहानियां लिखने लगे जिसे वह छपने के लिए प्रकाशक के पास भेज दिया करते थे।

इसी दौरान उन्होंने ‘प्यासा' की कहानी भी लिखी, जिस पर उन्होंने बाद में फिल्म भी बनाई। साल 1951 में रिलीज हुई देवानंद की फिल्म ‘बाजी' की सफलता के बाद गुरुदत्त बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। 

Pawan Insha