80 और 90 के दशक में बप्पी लाहिरी ने बॉलीवुड की ''डिस्को'' गानों से कराई थी पहचान,3 साल की उम्र में ही बजाते थे तबला
2/16/2022 9:00:52 AM
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मुबंई: बुधवार की सुबह यानि 16 फरवरी को एक ऐसी खबर आई जिसने हर किसी को सदमा दे दिया। खबर है 80 और 90 के दशक में भारत में डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने वाले संगीतकार और गायक बप्पी लहरी दुनिया को अलविदा कह गए।बप्पी लहरी ने 69 की उम्र में अंतिम सांस ली।
अस्पताल के निदेशक डॉ दीपक नामजोशी ने पीटीआई को बताया-लहरी को एक महीने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और सोमवार को उन्हें छुट्टी दे दी गई थी लेकिन मंगलवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनके परिवार ने एक डॉक्टर को उनके घर बुलाया। उन्हें फिर हाॅस्पिटल लाया गया। उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं। उनकी मृत्यु हो गई। आधी रात से कुछ समय पहले ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया) के कारण। इस दुखद खबर से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है।
बप्पी लहरी को लोग प्यार से बप्पी दा बुलाते थे। उन्होंने महज 3 साल की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था जिसे देख उनके पिता अपरेश लहरी ने उन्हें और भी गुण सिखाए।
बाॅलीवुड इंडस्ट्री को बप्पी दा ने एक नया म्यूजिक दिया था। उन्होंने हिंदी सिनेमा को रॉक और डिस्को म्यूजिक से रूबरू कराया था। 70-80 के दशक में उन्होंने सभी को उनके गानों पर थिरकने को मजबूर कर दिया था।
बप्पी लहरी पाॅपुलर सिंगर एसडी बर्मन से इंस्पायर थे और 17 साल की उम्र में ही उन्होंने संगीतकार बनने का फैसला कर लिया था। वो एसडी बर्मन के गाने सुनते थे और रियाज करते थे। बतौर संगीतकार बप्पी ने अपने कैरियर की शुरूआती वर्ष 1972 में रिलीज बंग्ला फिल्म ‘दादू' से की। उनकी पहलीहिंदी फिल्म जिसके लिए उन्होंने संगीत तैयार किया, वह थी नन्हा शिकारी (1973)। जिस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित किया, वह ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म, ज़ख्मी (1975) थी, जिसके लिए उन्होंने संगीत तैयार किया और एक पार्श्व गायक के रूप में पहचान बनाई।