ये हैं पहली करोड़पति फिल्म के एक्टर, बर्थडे पर भाई की मौत पर बंद किया था सेलिब्रेशन

10/13/2019 2:12:50 PM

बॉलीवुड तड़का डेस्क। अशोक कुमार एक ऐसे एक्टर जो एक ही शॉट में आपको अट्रैक्ट कर लें, जिन्होनें हिंदी फिल्म बिरादरी में ग्लैमर का तड़का लगाया और देश के कोने-कोने से टैलेंट को बढ़ावा दिया। एक्टर अशोक कुमार ने अपनी शानदार एक्टिंग से कई दशकों तक सिल्वर स्क्रीन पर राज किया और अपनी  स्टाइल और ग्लैमर से लाखों दिलों पर राज किया। 

कुमुदलाल गांगुली, जो इंडियन सिनेमा के दादामुनि के नाम से जाने जाते हैं, उनका जन्म आज ही के दिन 13 अक्टूबर, 1911 को बिहार के भागलपुर में कुंजलीलाल गांगुली और गौरी देवी के यहाँ हुआ था। वह एक बेहतरीन एक्टर थे, चाहे लीड रोल हो या नेगेटिव रोल, अशोक कुमार इन सभी के साथ बड़ी सहजता से न्याय कर सकते थे। आइए आपको बताते हैं अशोक कुमार से जुड़े कुछ कुछ इंट्रेस्टिंग फैक्ट-

1. एक शानदार एक्टर होने के अलावा, अशोक कुमार होम्योपैथी की प्रैक्टिस भी किए हुए थे। वह अक्सर उन बीमारियों को सही कर देते, जिसे डॉक्टर नहीं निपट सकते थे। वह एक अच्छे चित्रकार भी थे।

2. फिल्मों में मौका मिलने से पहले अशोक कुमार बॉम्बे टॉकीज में लैब असिस्टेंट के रूप में काम करते थे।

3. फिल्मों में उनका आना एक एक्सीडेंट था। उन्हें बॉम्बे टॉकीज की फिल्म जीवन नैया (1936) में लीड रोल मिला। इससे पहले फिल्म के हीरो नजमुल हसन ने फिल्म की हीरोइन देविका रानी के साथ शादी कर ली थी, जो स्टूडियो हैड हिमांशु राय की पत्नी थीं। इस घटना के बाद, राय ने हसन को निकाल कर अशोक कुमार को साइन किया।

4. उनकी पहली बड़ी हिट अछूत कन्या (1936) थी, जहाँ उन्हें फिर से देविका रानी के साथ कास्ट किया गया था। फिल्म एक ब्राह्मण लड़के के बारे में थी, जो 'अछूत' लड़की से प्यार करता था।

5. अशोक कुमार भारतीय सिनेमा के पहले एंटी हीरो थे। ज्ञान मुखर्जी की किस्मत (1943) ने अशोक को एक पिकपॉकेट के रूप में दिखाया, जो प्यार में पड़ जाता है। यह इंडियन सिनेमा की पहली फिल्म थी जिसने एक करोड़ रुपये की कमाई की। इसलिए टेक्निकली माना जाए तो 'करोड़ क्लब' की स्थापना अशोक कुमार ने की थी।

6. बाद में, वह बॉम्बे टॉकीज में एक निर्माता बन गए। उन्होंने देव आनंद को जिद्दी (1948) में अपना पहला ब्रेक दिया। यह फिल्म प्राण और किशोर कुमार के लिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह एक नेगेटिव कैरेक्टर और एक प्लेबैक आर्टिस्ट के रूप में फिल्मों में उनका पहला बड़ा ब्रेक था।

7. उनकी 1949 की फिल्म 'महल' ने इंडियन सिनेमा को एक और टैलेंट दिया। 1950 के दशक में फिल्मों से मधुबाला का इंट्रोडक्शन कराया। 

8. अशोक कुमार 1980 के दशक में टेलीविजन स्क्रीन का जाना-पहचाना चेहरा बन गए। उन्होंने भारत के पहले सोप ओपेरा 'हम लोग' की एंकरिंग शुरू की थी।

9. 1988 में, उन्होंने दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त किया, जो भारत सरकार द्वारा फ़िल्मी पर्सनालिटी को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें 1998 में पद्म भूषण भी मिला।

10. अशोक कुमार ने 1987 से अपना जन्मदिन मनाना बंद कर दिया, क्योंकि उनके सबसे छोटे भाई आभास, जो किशोर कुमार के नाम से पॉपुलर थे, उनका इसी दिन निधन हो गया था।

Edited By

Akash sikarwar