अनुपम खेर ने शेयर की मां की साड़ी के पल्लू से जुड़ी यादें, बोले-'जब हाथ में मां का पल्लू थामा होता था ऐसा लगता था जैसे सारी कायनात मुट्ठी में'
1/13/2022 4:24:56 PM
मुंबई: बाॅलीवुड के दिग्गज एक्टर अनुपन खेर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वह आए दिन फैंस के साथ कोई ना कोई वीडियो शेयर करते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर मां की साड़ी के पल्लू का महत्व व किस-किस काम आता था को बताया। इस वीडियो को उन्होंने सोशल मीडिया साइट कू पर शेयर किया है। वीडियो में अनुपम खेर कह रहे हैं मैं एक छोटे से शहर से हूं। छोटे-छोटे शहरों में मां की साड़ी का पल्लू किस-किस काम आता था? जरा ये सुनिए! शायद आपमें से कुछ लोगों के दिलों को छू जाए। दरअसल, मां के पल्लू की बात ही निराली थी।
मां का पल्लू बच्चों का पसीना, आंसू पोछने के काम आता ही था, पर खाना खाने के बाद मां के पल्लू से मुंह साफ करने का अपना एक मजा होता था। कभी आंख में दर्द होने पर मां अपनी साड़ी के पल्लू का गोला बनाकर फूंक मारकर गरम करके आंख पे लगाती थी तो दर्द उसी समय पता नहीं कहां उड़न छू हो जाता था। जब बच्चों को बाहर जाना होता था तब मां की साड़ी का पल्लू पकड़ लो, कमबख्त गूगल मैप की किसको जरूरत पड़ेगी। जब तक बच्चे ने हाथ में मां का पल्लू थाम रखा होता था ऐसी लगती थी जैसे सारी कायनात बच्चे की मुट्ठी में होती थी।
Koo Appमाँ का पल्लू: आप में से कितनो ने बचपन में #माँकापल्लू कभी ना कभी इस्तेमाल किया है? ज़रूर बताइए! #माँकापल्लू- माँ और बच्चों के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी होता था। कितनी यादें जुड़ी है इसके साथ! It still is my security blanket! Do share your mother’s name with me. माँ की जय हो!❤️🙏 - Anupam Kher (@anupampkher) 13 Jan 2022
ठंड में मां का पल्लू हिटिंग और गर्मियों में कूलिंग का काम करता था। बहुत बार मां की पल्लू का काम इस्तेमाल पेड़ों से गिरने वाली नाशपाती , सेब और फूलों के लाने के लिए भी किया जाता था। मां के पल्लू में धान, धान प्रसाद भी जैसे-तैसे इकट्ठा हो ही जाता था। पल्लू में गांठ लगाकर मां अपने साथ एक चलता-फिरता बैंक रखती थी। अगर आपकी किस्मत अच्छी हो तो उस बैंक से कुछ पैसे आपको मिल ही जाते थे।
मैने कई बार मां को अपनी पल्लू में हंसते, शरमाते तो कभी कभी रोते हुए देखा है। मुझे नहीं लगता की मां की पल्लू का विकल्प या अल्टरनेट कभी भी कोई ढ़ूढ पाएगा। एक्चुअली मां का पल्लू अपना एक जादूई एहसास लेकर आता था। आज की जनरेशन को मां के पल्लू की इम्पोर्टेंश समझ में आती या नहीं, पर मुझे पूरा यकीन है कि आप में से बहुत से लोगों को यह सब सुनकर मां की और मां की पल्लू की बहुत याद आएगी। चलिए अपनी अपनी मां को फोन करिए मां...
इस वीडियो के साथ लिखा अनुपम खेर ने लिखा- 'आप में से कितनों ने बचपन में मां का पल्लू कभी ना कभी इस्तेमाल किया है? जरूर बताइए! मां का पल्लू- मां और बच्चों के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी होता था। कितनी यादें जुड़ी है इसके साथ! यह अभी भी मेरी सुरक्षा कवच है! अपनी मां का नाम मेरे साथ साझा करें। मां की जय हो!'