12 लाख के बजट से बनी थी ये फिल्म, अनिल कपूर और माधुरी स्टारर ''परिंदा'' को पूरे हुए 30 साल

11/3/2019 4:26:34 PM

बॉलीवुड तड़का डेस्क। फिल्म मेकर विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी फिल्म 'परिंदा' की रिलीज़ के 30 साल पूरे होने पर कई सीक्रेट्स ओपन किए हैं। यह फिल्म न केवल उनकी फिल्ममेकिंग जर्नी में एक मील का पत्थर साबित हुई, बल्कि इसने माधुरी दीक्षित, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ जैसे एक्टर्स की किस्मत को भी बदल दिया। एक इंटरव्यू में, चोपड़ा ने गुजरे दिनों को याद करते हुए बताया कि यह फिल्म उनकी सबसे स्पेशल फिल्मों से एक क्यों है। 

परिन्दा ने 3 नवंबर को अपनी रिलीज़ के 30 साल पूरे कर लिए हैं, इस फिल्म को बनाने के दौरान आपको कौन से किस्से या मेमोरीज हैं, जो याद आ रहे हैं?

जब मैं परिंदा के साथ 30 साल की अपनी जर्नी के बारे में सोचता हूं, तो लगता है जैसे यह कल की ही बात है। जब मैं उस समय के बारे में सोचता हूं, तो मेरे लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट फैक्ट यह है कि हमने पूरी फिल्म सिर्फ 12 लाख के बजट में बनाई थी, जो उस पैमाने की फिल्म के लिए बहुत कम थी। लेकिन यह फिल्म के लिए ज्यादा सही रहा। हम अपने बजट से आगे बढ़ नहीं सकते थे, लेकिन कहानी से भी समझौता नहीं कर सकते थे, इसलिए वो जगह जहां भीड़ चिल्ला रही थी। वो सभी रियल थे। इससे हमारी कमजोरी हमारी ताकत बन गई।

हमने सुना है कि आपकी मां विशेष रूप से कश्मीर से मुंबई 'परिंदा' के स्पेशल प्रीमियर में हिस्सा लेने के लिए आई थीं। क्या आपको फिल्म देखकर उनकी रिएक्शन याद है?

उत्तर: जब मेरी मां ने पहली बार फिल्म देखी थी, तब मुझे याद है कि वह मेरी ओर आश्चर्य से देख रही थी और मुझसे पूछ रही है, “तुमने इसे बनाया है? सच में, तुमने? ” वह तब कश्मीर में रह रही थी और जब मैंने पहली बार उसे मुंबई बुलाने का प्लान किया, तो वह किराए को लेकर चिंता कर रही थी। वह अच्छी तरह जानती थी कि पैसा दुर्लभ है। हालांकि मैं उन्हें एयर टिकट भेजने में कामयाब रहा। लेकिन दुख की बात है कि मुंबई की इस यात्रा के बाद वह कभी कश्मीर नहीं लौट सकीं क्योंकि घाटी में अशांति फैल गई।

ऐसे समय में जब कलाकारों को एक साथ किसी फिल्म में कास्ट करना असंभव माना जाता था, परिंदा ने खूब तारीफें हासिल कीं। क्या माधुरी दीक्षित, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, नाना पाटेकर जैस एक्टर्स को एक साथ लाना और उनका डायरेक्शन करना मुश्किल था?

जिस समय हम परिंदा साथ ला रहे थे, उस समय माधुरी पूरी तरह से अनजान थीं। उन्होंने इस रॉल के लिए ऑडिशन दिया था। यह उनकी पहली फिल्मों में से एक थी और वह अभी तक स्टारडम को हासिल नहीं कर पाईं थी। नाना पाटेकर थिएटर सर्किट में एक जाना माना नाम था, लेकिन फिल्मों में अनजान थे। यह उनकी पहली प्रमुख फिल्म भूमिका थी। मैंने दादर में नाना के थिएटर प्ले  'पुरुष’ को देखा था और तभी से उन्हें फिल्म में कास्ट करना चाहता था। इसलिए यह वास्तव में उतना मुश्किल नहीं था क्योंकि दो न्यूकमर्स थे और फिर, केवल दो स्टार्स जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर बचे थे, जो मेरे लिए भाई की तरह थे। इसलिए मुझे कभी नहीं लगा कि मैं एक बड़ी स्टार कास्ट फिल्म कर रहा हूं। 

परिन्दा को क्रिटिक्स से खूब तारीफ मिलीं, फिल्म अपने समय की महान फिल्मों में से एक बनी रही। आप मानते हैं कि फिल्म आज भी विकसित दर्शकों के लिए प्रासंगिक है?

परिंदा, दो भाइयों के बीच के रिश्ते के बारे में है। मेरा मानना ​​है कि फिल्म के प्रासंगिक होने की एक वजह यह है कि यह दो भाइयों और उन दोनों के बीच के रिलेशन और प्यार से रिलेटेड है, और यह एक ऐसा बंधन है जो आज भी मान्य है। मैंने यह फिल्म अपने भाई वीर को डेडिकेट की। 

दो नेशनल फिल्म अवार्ड जीतने के अलावा, परिंदा 1990 के ऑस्कर अवार्ड के लिए बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म के लिए इंडिया की तरफ से ऑफिसियल सेलेक्शन भी थी, हालांकि इसे नॉमिनेट नहीं किया गया था। क्या आज के समय में अवार्ड, स्पेशली ऑस्कर, मायने रखते हैं?

परिंदा से पहले, मुझे वास्तव में 1979 में ऑस्कर के लिए मेरी शॉर्ट फिल्म 'एन एन्काउंटर फ्रैड्स' के लिए नॉमिनेट किया गया था, और मैंने उस वर्ष लॉस एंजिल्स में ऑस्कर इवेंट में हिस्सा भी लिया था। लेकिन बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते थे क्योंकि उन दिनों कोई सोशल मीडिया नहीं था, और इसका शोर भी नहीं था और इसलिए मुझे लगता है कि किसी अवार्ड की धारणा आज के समय की तुलना में बहुत ज्यादा थी।

Edited By

Akash sikarwar