B''Day Spcl: डिलीवरी के दौरान हुई थी इस एक्ट्रेस की मौत, सांवली होने के बावजूद मिले लीड रोल

10/17/2019 11:49:00 AM

बॉलीवुड तड़का डेस्क। भारतीय सिनेमा ने कई स्टार्स और आइकॉन दिए और सभी एक-से-एक चमकदार हैं, लेकिन जब बात एक्टिंग की आती है तो स्मिता पाटिल को जरूर याद किया जाता है। बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस में से एक और अपने ज़माने की मशहूर अदाकारा स्मिता पाटिल का बर्थडे है। भले ही आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन एक्टिंग की बात आते ही अपने आप उनका जिक्र हो जाता है। उन्हें एक्टिंग का इंस्टीट्यूट माना जाता है। बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि स्मिता ने रीजनल सिनेमा में भी अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया था।


स्मिता बहुत कम 'पैरेलल सिनेमा सुपरस्टार' में से एक थीं। पाटिल न्यू वेव सिनेमा में अपने काम के लिए जानी जाती थी, लेकिन उन्होंने मेनस्ट्रीम बॉलीवुड में भी खुद के लिए नाम बनाया, इस तरह उन्होंने दोनों दुनियाओं के बीच बैलेंस बना के रखा। उनकी फिल्में और पर्सनालिटी दोनों ही अट्रैक्टिव थे। दुख की बात है कि वह बहुत छोटी उम्र में ही हमारे बीच से चली गईं, लेकिन अपनी मौत के तीन दशक बाद भी वह अपने काम के लिए जानी जाती हैं।

बेनेगल की फेवरेट-

17 अक्टूबर 1955 को शिवाजीराव पाटिल और विद्याताई पाटिल के राजनीतिक परिवार में जन्मी स्मिता दो भाई-बहनों (एक मान्या) और बड़ी (अनीता) बहन के साथ पुणे में बड़ी हुईं। उन्होंने कभी भी एक्टिंग में जाने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन उनके अच्छे लुक और एक्टिंग पर उनकी पकड़ ने उन्हें कॉलेज में स्टूडेंट्स फिल्म की फैवरेट बना दिया, और यहां तक ​​कि मुंबई में दूरदर्शन के लिए एक न्यूज़ एंकर भी। 

डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने 1970 के दशक की शुरुआत में उन्हें खोजा, यह देखते हुए कि स्मिता सांवले रंग की थी। इस प्रकार बॉलीवुड के सबसे शानदार और छोटे करियर की शुरुआत हुई। पाटिल 1970 और 1980 के दशक में फ़िल्में करते हुए बेनेगल की फैवरेट बन गईं।

'चरणदास चोर' के बाद 'मंथन', 'भौमिका', 'कोंडुरा' और 'बाज़ार' आईं। पाटिल ने छोटे बजट की फिल्मों का समर्थन किया, जिसमें एक मजबूत कहानी और सोशल इश्यू होते थे। स्मिता फिल्मों में ऐसे रोल्स करती थीं, जिनसे दलितों को मजबूत और क्रांतिकारी महिलाओं के रूप में दिखाया जा सके। 

मंथन में दलित महिला का रोल हो, मिर्च मसाला में हैरेस्ड फैक्ट्री वर्कर हो, या अर्थ में शादीशुदा व्यक्ति के साथ प्यार करने वाली महिला, पाटिल ने हमेशा यादगार और मजबूत किरदारों को ही चुना। उन्होंने बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया को भी जीत लिया। 'अल्बर्ट पिंटो को गुसा क्यूं आता है', 'शक्ति', 'नमक हलाल', और 'आखिरी कोना' जैसी फिल्मों में शानदार एक्टिंग से उन्होंने साबित कर दिया कि वह मल्टीटैलेंटेड एक्ट्रेस थीं, जो किसी भी फिल्म मेकर के साथ काम कर सकती थीं।
 

Edited By

Akash sikarwar