फिल्म इंडस्ट्री के स्टार मेकर थे केदार शर्मा

4/28/2016 4:56:18 PM

मुंबई: बॉलीवुड में केदार शर्मा का नाम एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने राजकपूर, भारत भूषण, मधुबाला, गीताबाली, माला सिन्हा और तनुजा सरीखी नामचीन फिल्मी हस्तियों को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभााई। 12 अप्रैल 1910 को पंजाब के नरोअल शहर अब पाकिस्तान में जन्में केदार शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर से पूरी की। इसके बाद वह नौकरी की तलाश में मुंबई आ गए लेकिन वहां काम नहीं मिलने के कारण वह अमृतसर लौट आए। वर्ष 1933 में केदार शर्मा को देवकी बोस निर्देशित फिल्म ‘पुराण भगत’ देखने के बाद वह इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने निश्चय किया कि वह फिल्मों में ही अपना कैरियर बनाएगें। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए केदार शर्मा कोलकाता गए। कोलकाता में केदार शर्मा की मुलाकात फिल्मकार देवकी बोस से हुए और उनकी सिफारिश से उन्हें न्यू थियेटर में बतौर छायाकार शामिल कर लिया गया। वर्ष 1934 में प्रदर्शित फिल्म ‘सीता’ बतौर छायाकर केदार शर्मा की पहली फिल्म थी। इसके बाद न्यू थियेटर की फिल्म ‘इंकलाब’ में केदार शर्मा को एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला। 

आप को बता दें कि वर्ष 1936 में प्रदर्शित फिल्म ‘देवदास’ केदार शर्मा के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में वह बतौर कथाकार और गीतकार की भूमिका में थे। फिल्म हिट रही और केदार शर्मा फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। वर्ष 1940 में उन्हें एक फिल्म ‘तुहारी जीत’ के निर्देशन का मौका मिला लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म पूरी नही हो सकी। इसके बाद उन्होंने ''औलाद'' फिल्म को निर्देशित किया जिसकी सफलता के बाद वह कुछ हद तक बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए। वर्ष 1941 में उन्हें ‘चित्रलेखा’ फिल्म को निर्देशित करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद वह बतौर निर्देशक फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। इस दौरान मेहताब बोली कि यह सीन आप दर्शकों के लिए रखना चाहते है या सिर्फ अपनी खुशी के लिए केदार शर्मा ने तब मेहताब को समझाया कि देखो सैट पर अभिनेत्री और निर्देशक का रिश्ता पिता-पुत्री का होता है। केदार शर्मा की यह बात मेहताब के दिल को छू गई और उसने केदार के सामने यह शर्त रखी कि वह फिल्मांकन के समय सैट पर केवल वही मौजूद रहेगें। 

बता दें कि वर्ष 1947 में केदार ने ‘नीलकमल’ के जरिए राजकपूर को रूपहले पर्दे पर पहली बार पेश किया। राजकपूर इसके पूर्व केदार की यूनिट में क्लैपर बॉय का काम किया करते थे। वर्ष 1950 में केदार ने फिल्म ‘बावरे नैन’ का निर्माण किया और अभिनेत्री गीता बाली को पहली बार बतौर अभिनेत्री काम करने का अवसर दिया।  वर्ष 1950 में ही केदार की एक और सुपरहिट फिल्म ‘जोगन’ प्रदर्शित हुई। फिल्म में दिलीप कुमार और नरगिस मुख्य भूमिका में थे। केदार की यह विशेषता रहती थी कि जिस अभिनेता, अभिनेत्री के काम से वह खुश होते उसे पीतल की दुअन्नी देकर समानित किया करते। राजकपूर, दिलीप कुमार, गीताबाली और नरगिस को यह समान प्राप्त हुआ था। केदार कई फिल्मों में अपने अभिनय से भी दर्शकों का दिल जीता। इन फिल्मों में इंकलाब, पुजारिन, विद्यापति, बडी दीदी, नेकी और बदी शामिल है। उन्होंने कई फिल्मों के लिए गीत भी लिखे। केदार शर्मा ने बच्चों के लिए भी कई फिल्में बनाई। इनमें जयदीप,गंगा की लहरें,गुलाब का फूल,26 जनवरी,एकता,चेतक,मीरा का चित्र,महातीर्थ और खुदा हाफिज शामिल है। लगभग पांच दशक तक अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान फिल्मकार केदार शर्मा 29 अप्रैल 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। 

 


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