जितना रुखा स्वभाव उतना मीठा संगीत, सफल संगीतकार थे ओपी नैयर

1/16/2018 8:50:21 PM

मुंबईः हिंदी सिनेमा के संगीतकार ओपी नैयर का आज जन्मदिन है। उनके जमाने के बनाए हुए गीत आज भी युवाओं को बेहद पसंद आते है। वह बहुत ही अनुशासित संगीतकार थे। अपने काम के प्रति लापरवाही उन्हें बिल्कुल भी नहीं पसंद था।

 

ओपी नैयर को अपने काम में किसी और की दखलअंदाजी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।उनका जन्म 1962 में लाहौर में हुआ था। उनकी जोड़ी संगीत के लिहाज से सबसे ज्यादा शमशाद बेगम के साथ जमी। शमशाद बेगम के जो भी गाने उन्होंने गवाए वो सारे सुपरहिट साबित हुए।

 

ओपी नैयर और लता मंगेश्कर के बीच की अनबन के बारे में हर संगीत प्रेमी जानता है। ओपी ने कभी लता मंगेश्कर के साथ काम नहीं किया। यहां तक कि आखिरी समय में मध्य प्रदेश सरकार ने जब नैयर को लता मंगेशकर अवॉर्ड देने की घोषणा की तो नैय्यर ने उसे भी लेने से मना कर दिया। इसके साथ-साथ नैयर संगीत की बहुत कम तकनीकी जानकारी रखते थे।

 

बता दें ओपी नैयर एकमात्र ऐसे संगीतकार थे जिनके लिए लता मंगेशकर ने कोई भी गाना नहीं गाया। नैयर के हिसाब से लता की आवाज उनके द्वारा रचित संगीत के लिए उपयुक्त नहीं थी। ये उस समय की बात है जब हर छोटे से बड़ा संगीतकार लता को अपने संगीत के लिए सफलता की गारंटी मानते थे।

 

‘कजरा मोहब्बत वाला’, ‘दीवाना हुआ बादल’, ‘इक परदेसी मेरा दिल ले गया’, ‘आओ हुज़ूर तुमको’, ‘आइये मेहरबान’, ‘पुकारता चला हूं मैं’, ‘लाखों है यहां दिलवाले’, ‘उड़े जब-जब ज़ुल्फे तेरी’, ‘तौबा ये मतवाली चाल’ जैसे सब गाने उन्होंने कंपोज किए और आज भी बड़े लोकप्रिय हैं। इतने कि नई पीढ़ी को भी इनकी याद दिलाने में मशक्कत नहीं करनी पड़ती।

 

नैयर ने पहला गाना सीएच आत्मा के लिए बनाया, ‘प्रीतम आन मिलो’। इस गाने के लिए उन्हें 12 रुपए मिले। नैयर ने इसके बाद एक-एक कर हिट गाने देना शुरू किया। इतने कि एक समय पर वो फिल्म में म्यूज़िक देने के 1 लाख रुपए तक चार्ज करते थे।


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