MOVIE REVIEW: ''डैडी''

9/8/2017 9:58:41 AM

मुंबई: फिल्म 'डैडी' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म अरुण गवली की ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म है। फ़िल्म में अरुण गवली की ज़िंदगी को कई किरदारों के माध्यम से दिखाया गया है। अर्जुन रामपाल ने गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली का किरदार निभाया है। फिल्म की कहानी की शुरुआत 1970 के दशक से होती है जब मुबंई की टेक्सटाइल मिल में ताला लग जाता है और धीरे-धीरे बेरोजगार लोग अंडरवर्ल्ड की चपेट में आने लगते हैं। इसके बाद मुंबई में बीआरए गैंग का जन्म होता है जिसमें बाबू, रमा और अरुण होते हैं। अरुण अपने इलाके पर खुद हुकूमत करना चाहता है यह जानते हुए भी कि पूरी मुंबई पर दाऊद इब्राहिम का कब्जा है। इसी वजह से गैंगवार भी होती है। उसपर कई केस चलते हैं जिसकी वजह से उसे जेल जाना पड़ता है। हालांकि समय के साथ गवली खुद को बदलता है और पार्टी बनकार नेता बन जाता है। लोग उसे डैडी बुलाना शुरू कर देते हैं। बेशक वो कानून की नजर में एक अपराधी होता है लेकिन उसके आस-पास रहने वाले लोग उसे रॉबिनहुड मानते हैं। फिल्म के ट्रेलर में लिखा गया है केवल एक जो देश छोड़कर नहीं भागा। वहीं ट्रेलर में खुद गवली कहता है कि मैं भगोड़ा नहीं हूं, मैं मेरा देश छोड़कर नहीं जाएगा। फिल्म में हर नजरिए से अरुण गवली की जिंदगी पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है। इसमें मुंबई के अंडरवर्ल्ड की झलक मिलेगी जिसका एक जमाने में बोलबाला हुआ करता था।

बता दें कि इस फिल्म के जरिए ऐश्वर्या राजेश बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं। आशिम अहलूवालिया ने फिल्म को लिखने के साथ ही इसे डायरैक्ट भी किया है। अर्जुन रामपाल ने अरुण के किरदार में ठीक-ठाक एक्टिंग की है लेकिन वह कोई छाप छोडने में कामयाब नहीं हो सके हैं। उनका चेहरा एकदम सपाट रहता है। कुल मिलाकर डायरैक्टर जिस तरह का कैरेक्टर खड़ा करना चाह रहे थे वैसा नहीं कर सके। पुलिस ऑफ़िसर के तौर पर निशिकांत कामत ने बढ़िया एक्टिंग की है। भाई के किरदार में फ़रहान अख़्तर बिल्कुल भी इम्प्रेस नहीं कर पाते हैं। फ़िल्म का म्यूज़िक बिल्कुल भी अपीलिंग नहीं है। डैडी की लाइन और लेंथ पूरी तरह से आउट है। फ़िल्म के किरदार कनेक्ट करने में पूरी तरह असफल रहते हैं। एक समय पर आकर फ़िल्म थकाने लगती है।


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