MOVIE REVIEW: "बरेली की बर्फी"

8/18/2017 12:28:17 PM

मुंबई: फिल्म बरेली की बर्फी अाज रिलीज हो गई है। यह कहानी बरेली के रहने वाले मिश्रा परिवार की है जिसमें बिट्टी (कृति सैनन) अपने माता (सीमा पहवा) और पिता (पंकज त्रिपाठी ) के साथ रहती है। बिट्टी के मां-बाप उसकी शादी कराना चाहते हैं लेकिन लड़केवालों की ओर से बार-बार अजीब से सवाल पूछे जाने की वजह से बिट्टी घर से भागने का प्रयास करती है। इसी बीच उसके हाथ बरेली की बर्फी नामक किताब लगती है और उसके लेखक प्रीतम विद्रोही (राजकुमार राव) से उसे मन ही मन प्यार हो जाता है। फिर प्रीतम की तलाश में बिट्टी की मुलाकात प्रिंटिंग प्रेस के मालिक चिराग दुबे (आयुष्मान खुराना) से होती है। इन्हीं मेल-मुलाकातों के साथ कहानी आगे बढ़ती है और जैसा कि ट्रेलर से ही जाहिर होता है- लव ट्राइएंगल बनता है।

अश्विनी अय्यर तिवारी का डायरैक्शन काफी अच्छा है और लोकेशंस के लिहाज से लगता है कि आप उसी शहर में मौजूद हैं जहां यह पूरी कहानी घट रही है। कैमरा वर्क बढ़िया है और शूटिंग का तरीका भी अच्छा है। फिल्म के डायलॉग्स की खासतौर पर तारीफ की जानी चाहिए जो लगातार दर्शकों को हंसाते हैं। कई जगह तो सीन खत्म होने के बाद भी चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है। पंकज त्रिपाठी और सीमा पाहवा ने पेरेंट्स के रूप में बेहतरीन काम किया है और हमेशा की तरह इस बार भी हंसाने के साथ-साथ दिल जीतने में भी कामयाब होते हैं।

जहां तक गानों की बात है तो फिल्म का संगीत ठीक है और खासतौर पर स्वीटी तेरा... सॉन्ग फिल्म की रिलीज से पहले हिट है। ट्विस्ट कमरिया की सुनने लायक है। लेकिन कंप्लीट अलबम के तौर पर बरेली की बर्फी बहुत याद किए जाने वाला संगीत नहीं देती है। बरेली की बर्फी का क्लाइईमैक्स काफी प्रेडिक्टेबल है। इसे और कसा जा सकता था। दूसरे हिस्से में फिल्म थोड़ा बोर करती है। लंबाई को बेवजह न बढ़ाकर इसे दुरुस्त किया जा सकता था।
 


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