Movie Review: ''इंदु सरकार'' इमरजेंसी के काले काल को दिखाने का बेहतरीन प्रयास

7/28/2017 7:03:13 PM

मुंबईः 1975 में लगी ‘इमरजेंसी’ के दौर को लोकतंत्र के ‘काले अध्याय’ के रूप में पहले से ही जाना जाता है। उस दौरान प्रेस पर पाबंदी, जबरन नसबंदी, मीसा ( आंतरिक सुरक्षा क़ानून) के नाम पर लोगों की जबरदस्ती गिरफ्तारी जैसे कई गंभीर आरोप सरकार पर लगे। उस वक्त देश ने जो दर्द महसूस किया उसे सिनेमाई पर्दे पर उतारने की हिमाकत आज तक कोई नहीं कर पाया। इस मुद्दे के इर्द गिर्द अब तक बॉलीवुड में एक दो फिल्में ही बनी हैं। ऐसे में जब मधुर भंडारकर जैसा एक जाना माना डायरेक्टर उस दौर पर फिल्म बनाने की सोचे तो लोगों की उम्मीदें जग जाती हैं। लेकिन इस फिल्म को देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि बॉलीवुड को अब पॉलिटिकल मुद्दों पर फिल्म बनाने के बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए।

 


बता दें मधुर भंडारकर अपनी खास तरह की फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्मों के सब्जेक्ट में एक नयापन होता है जो कि हमेशा बाकी विषयों से अलग होता है। इस फिल्म की बात करें तो मधुर पेज 3, चांदनी बार, फैशन जैसा जलवा तो पर्दे पर नहीं उकेर पाए हैं लेकिन इस बार उन्होंने 2015 में आयी कैलेंडर गर्ल्स और हिरोईन की तरह दर्शकों की निराश भी नहीं किया है। आपको बता दें कि 2015 के बाद लगभग डेढ़ साल के अंतराल के बाद मधुर भंडारकर अपनी इस फिल्म को लाये हैं। इस बार मधुर भंडारकर ने आपातकाल के ऊपर फिल्म बनाई है और फिल्म का नाम रखा है ‘इंदू सरकार’। इतिहास गवाह है, इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित किया था, जो कि 21 महीने तक चला।

 

इसके बाद लोगों को आपातकाल में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। मधुर भंडारकर ने अपनी फिल्म इंदू सरकार में इस पूरे घटनाक्रम को उतारने की कोशिश की है। यही वजह रही कि रिलीज से पहले फिल्म काफी विवादों में छा गई। फिल्म न रिलीज हो ​इसके लिए कांग्रेस ने पूरी कोशिश की कि फिल्म रिलीज न हो पाए। उसके बाद संयज गांधी की जैविक बेटी बताने वाली एक महिला ने भी इस फिल्म को रिलीज न करने के लिए हाई कोर्ट और सु​प्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। हालांकि उस महिला की याचिका को कोर्ट ने खारिज ​कर दिया। काफी मशक्कत करने के बाद आखिरकार यह फिल्म रिलीज हो गई है।
 


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