कभी चाट-पकौड़ी बेचते थे मुकेश अंबानी के पिता, एेसे बने दुनिया के सबसे अमीर आदमी

12/28/2017 1:35:34 PM

मुंबई: रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी की आज 85वीं जयंती है। उनका जन्म 28 दिसंबर 1933 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था। उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। उनका बचपन काफी संघर्ष के बीच बीता। न उनके पास कोई बैंक बेलेंस था और न ही कोई पिता की संपत्ति। उनके पिता स्कूल टीचर थे। जिनके देहांत के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभाली और धीरे-धीरे टाटा और बिरला के बीच खड़ा किया।

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उनकी जयंती के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनका करोड़पति बनने का सफर जो वाकई इंस्पिरेश्नल है। परिवार की आर्थिक तंगी के बाद धीरूभाई को जिम्मेदारी लेनी पड़ी। हाईस्कूल के बाद उनको पढ़ाई भी छोड़नी पड़ गई। सूत्रों के मुताबिक, वो हर शनिवार और रविवार को गिरनार पर्वत के पास तीर्थयात्रियों को चाट-पकौड़ी बेचा करते थे। उन्होंने अपनी पहली जॉब यमन के एडेन शहर में की।

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1949 में वो काबोटा नाम की शिप में काम किया करते थे। 1958 में वो 50 हजार रुपये लेकर भारत लौटे और मसालों का छोटा-मोटा काम शुरू किया। जिसके बाद उन्होंने रिलायंस कंपनी खोलकर कपड़ा ट्रेडिंग कंपनी खोली। जिसके बाद वो नहीं रुके और कंपनी को आगे बढ़ाते चले गए। धीरूभाई अंबानी ने भले ही पूरी शिक्षा न ग्रहण की हो लेकिन उन्होंने अपने दो बेटे- मुकेश और अनिल को पढ़ाया।

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उनकी पढ़ाई यूएस में कराई। जिसके बाद दोनों भारत लौटे तो रिलायंस इंडस्ट्रीज में जुड़ गए और पिता की हर तरह से मदद की। नतीजा ये रहा कि 6 जुलाई 2002 को जब उनकी मौत हुई तब तक रिलायंस 62 हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी थी। यमन में उनकी पहली सैलरी 200 रुपये थी। लेकिन रिस्क लेकर उन्होंने करोड़पति बनने का सफर तय किया। 

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