MOVIE REVIEW: "बाबूमोशाय बंदूकबाज"

8/25/2017 10:14:05 AM

मुंबई: बॉलीवुड फिल्म "बाबूमोशाय बंदूकबाज" आज सिनेमाघरों में आ चुकी है। बाबू बिहारी (नवाजुद्दीन) और बांके बिहारी (जतिन), दोनों यूपी के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स हैं। फिल्म में दिलचस्प मोड़ तब आता है जब दोनों का टारगेट एक हो जाते हैं। यानी दोनों को किसी खास शख्स की हत्या की सुपारी मिल जाती है। दोनों यह तय करते हैं कि जो ज्यादा लोगों को मारेगा वही नंबर वन किलर कहलाएगा। हालांकि, दोनों इस बात से अनजान रहते हैं कि उनकी प्रतिस्पर्धा के बीच एक खेल और खेला जा रहा है। फिल्म में जहां गोलियों की आवाज का शोर है वहीं सैक्स सीन्स भी जमकर परोसे गए हैं। 

बता दें कि बाबू 10 साल की उम्र से ही हत्याएं करने का काम कर रहा है। पहली हत्या उसने खाने के लिए की।  बांके बाबू का फैन है और वह सुपारी किलर बनने का सपना देखता है। बांके की गर्लफ्रैंड यास्मीन (श्रद्धा) बॉलिवुड रीमिक्स पर डांस करती है और उसके लिए कॉन्ट्रैक्ट लाती है। बाबू की गर्लफ्रैंड फुलवा (बिदिता) उसे खत्म कर देने के लिए कहती है। पूरी फिल्म में आपको गोलियों की आवाज सुनाई देगी। 

फिल्म में दो और किरदार हैं, सुमित्रा ( दिव्या) और दुबे (अनिल)। दोनों नेता की भूमिका में हैं और अपने फायदे के लिए इन दोनों बंदूकबाजों का इस्तेमाल करते हैं। इस खेल में स्थानीय पुलिस भी शामिल हो जाती है। बाबू फुलवा के साथ मजे में रह रहा होता है लेकिन बांके की उस पर नजर पड़ती है और वह भी फुलवा की तरफ आकर्षित हो जाता है। 

स्क्रीनप्ले थोड़ी और टाइट करने की गुंजाइश थी। इसके बावजूद कुशन नंदी ने अच्छी फिल्म बनाई है। नवाजुद्दीन का एक खतरनाक किलर से प्रेमी में ट्रांसफॉर्म होना भी देखते ही बनता है। जतिन ने भी प्रभावित किया है और उनकी आवाज स्क्रीन अपील को बढ़ाती है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए


Recommended News

Related News